उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए योगी सरकार ने 'मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम' शुरू किया है. इस कार्यक्रम को प्रदेश में लागू करने संबंधी प्रस्ताव को शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित हुई कैबिनेट बैठक के समक्ष रखा गया, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इस कार्यक्रम के तहत यूपी में मोटे अनाजों की खेती, प्रसंस्करण एवं उपभोग को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए 5 साल तक का समय निर्धारित किया गया है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य में मोटे अनाजों की खेती पारंपरिक रूप से काफी हद तक लोकप्रिय एवं प्रचलित थी, परन्तु हरित क्रांति के उद्भव के साथ कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन से इसका क्षेत्र और उत्पादन सीमित हो गया. इससे कुल खाद्यान्न उत्पादन में मोटे अनाजों का हिस्सा कम हुआ, जबकि पौष्टिक अनाज की टोकरी के रूप में मोटे अनाज अत्यंत उपयोगी है.
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मोटे अनाजों सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों का भंडार है. शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के लिए मोटे अनाज एक वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है. मोटे अनाज संतुलित आहार के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण में योगदान देता है. ये मानव जाति के लिए एक प्राकृतिक उपहार है.
प्रस्ताव के अनुसार 'मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम’ के अंतर्गत प्रदेश में मिलेट्स (ज्वार, बाजरा, कोदों, सावां, रागी/मडुआ आदि) की खेती, प्रसंस्करण एवं उपभोग को बढ़ावा दिया जाएगा. यह योजना वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1 जनवरी, 2023 से लागू मानी जाएगी. इसका संचालन वर्ष 2026-27 तक किए जाने का प्रस्ताव है. इसे लागू करने पर 5 वर्ष की इस अवधि में 18626.50 लाख रुपये का अनुमानित व्यय होगा. इसका वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा.
इस कार्यक्रम के संचालन के लिए यूपी सरकार ने दो समितियों का गठन किया है. इसमें नीति निर्धारण, पात्रता के लिए मापदण्ड निर्धारण, योजना की सामयिक प्रगति की समीक्षा, कृषि निदेशक की अध्यक्षता में गठित 'राज्य स्तरीय परियोजना स्क्रीनिंग समिति' करेगी. वहीं समिति द्वारा संस्तुत प्रस्तावों की स्वीकृति एवं स्वीकृत प्रस्तावों पर धनराशि जारी करने का अधिकार अपर मुख्य सचिव, कृषि की अध्यक्षता में गठित 'राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति' को दिया गया है. यह समिति इस योजना के भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य, क्षेत्र एवं क्रियान्वयन के दिशा-निर्देशों में भविष्य की आवश्यकता के अनुसार वांछित संशोधन भी कर सकेगी.
यूपी सरकार की तरफ से पेश किए प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश में ज्वार, बाजरा, कोदो एवं सावां की खेती प्रमुख रूप से की जाती है. वर्ष 2021-22 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाजों की उपज हुई. इनमें से सर्वाधिक 9.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बाजरा, 1.71 लाख हेक्टेयर में ज्वार, 0.02 लाख हेक्टेयर में कोदों एवं 0.05 लाख हेक्टेयर में सावां का उत्पादन हुआ. कोदो एवं सावां के अतिरिक्त रागी/मडुआ, काकुन आदि की उपज नगण्य है. मोटे अनाज में सम्मिलित फसलों की खेती कम उपजाऊ भूमि, शुष्क क्षेत्र अथवा वर्षा आधारित क्षेत्र, पहाड़ी/पठारी क्षेत्र में एवं विपरीत मौसम में भी आसानी से की जा सकती है. प्रदेश में कई जनपद एवं उनमें कई विकास खण्ड ऐसे हैं, जहां पर मोटे अनाज की खेती के लिए जलवायु संबंधी अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध हैं. इन जिलों में ज्वार, बाजरा, कोदो, सावां, रागी/मडुआ आदि की खेती को प्रोत्साहित किया जा सकता है.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदेश में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देते हुए इसके फसल क्षेत्र में विस्तार कर उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो तथा मूल्य संवर्धन एवं मार्केटिंग के माध्यम से जन सामान्य के आहार में मोटे अनाज के उपभोग को बढ़ावा देकर सभी को संतुलित आहार की तरफ प्रेरित किया जा सके. इस कार्यक्रम काे प्रदेश के सभी 75 जनपदों में लागू किया जाएगा. इसके तहत मिलेट्स की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु मिलेट्स बीज के मिनी किट किसानों को मुफ्त वितरित किये जाएंगे.
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