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क्या है एग्रीश्योर और कृष‍ि न‍िवेश पोर्टल, क‍िसे म‍िलेगा फायदा, एग्री इंफ्रा फंड में क्या हुआ बदलाव?

क्या है एग्रीश्योर और कृष‍ि न‍िवेश पोर्टल, क‍िसे म‍िलेगा फायदा, एग्री इंफ्रा फंड में क्या हुआ बदलाव?

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) ने म‍िलकर एग्रीश्योर की शुरुआत की है. इसके जर‍िए उन स्टार्टअप को पूंजी मुहैया करवाई जाएगी जो कृष‍ि और ग्रामीण क्षेत्र के व‍िकास के ल‍िए काम कर रहे हैं. साथ ही ज्यादा लोगों तक फायदा पहुंचाने के ल‍िए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में बदलाव क‍िया गया है. 

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एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में क्या हुआ है बदलाव? एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में क्या हुआ है बदलाव?

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को नई दिल्ली में एग्रीश्योर (AGRIsure) फंड और कृषि निवेश पोर्टल की शुरुआत की. साथ ही एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) में बदलाव भी क‍िया है. इन सभी का क‍िसे फायदा म‍िलेगा, इसे हम व‍िस्तार से समझते हैं. इसका पूरा नाम एग्रीकल्चर फंड फॉर स्टॉर्टअप एंड रूरल एंटरप्राइजेज है. दरअसल, बदलते वक्त के साथ खेती में अब नई सोच, नई तकनीक और इनोवेशन की जरूरत है. इसी कड़ी में केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) ने म‍िलकर एग्रीश्योर की शुरुआत की है. इसके जर‍िए उन स्टार्टअप को पूंजी मुहैया करवाई जाएगी जो कृष‍ि और ग्रामीण क्षेत्र के व‍िकास के ल‍िए काम कर रहे हैं. 

ऐसे स्टार्टअप जो क‍िसानों को नर्इ तकनीकों के उपयोग और कृष‍ि से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के नए समाधान को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें मदद म‍िलेगी. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के अध‍िकार‍ियों ने बताया क‍ि एग्रीश्योर फंड के जर‍िए कृष‍ि और ग्रामीण व‍िकास में नए अवसरों का न‍िर्माण क‍िया जाएगा. कृष‍ि व‍िकास के ल‍िए सरकार, नाबार्ड और न‍िजी क्षेत्र को साथ लाकर काम क‍िया जाएगा. यह 750 करोड़ रुपये का फंड है. 

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कृष‍ि न‍िवेश पोर्टल क्या है? 

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने मंगलवार को ही कृष‍ि न‍िवेश पोर्टल की भी शुरुआत की है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव सैमुअल प्रवीण कुमार ने बताया क‍ि न‍िवेशकों का काम आसान करने के ल‍िए कृष‍ि न‍िवेश पोर्टल की शुरुआत की गई है. केंद्र सरकार में कृष‍ि न‍िवेश को बढ़ावा देने के ल‍िए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ज‍िसमें एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, प्रधानमंत्री क‍िसान संपदा योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, डेयरी डेवलपमेंट फंड और राष्ट्रीय गोवर्धन म‍िशन प्रमुख हैं. 

इसके अलावा कृष‍ि मंत्रालय की ओर से म‍िलने वाली कोल्ड स्टोरेज सब्स‍िडी और राष्ट्रीय कृष‍ि व‍िकास योजना भी शाम‍िल है. इन सभी की सूचनाएं पहले अलग-अलग पोर्टल पर म‍िलती थीं. इससे कृष‍ि क्षेत्र में न‍िवेश करने वालों को द‍िक्कत होती है. इसल‍िए इन सभी को इंटीग्रेट करके एक पोर्टल बनाया द‍िया गया है. ज‍िसका नाम कृष‍ि न‍िवेश पोर्टल है. इसमें कई इनोवेट‍िव फीचर हैं. इसमें एक नेशनल डैशबोर्ड भी है, ज‍िसमें इन सभी योजनाओं की प्रगत‍ि देखी जा सकती है. 

एआईएफ में क्या बदला? 

फसलोंपरांत नुकसान को कम करने के ल‍िए साल 2020 में एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) की शुरुआत की गई थी, ताक‍ि क‍िसानों को अपने अनाज और फल-सब्ज‍ियों को रखने के ल‍िए वेयर हाउस, साईलो, कोल्ड चैन, पैक हाउस, ग्रेडिंग एव सोर्टिंग की सुव‍िधा म‍िले. इनका इस्तेमाल करके क‍िसान अपनी उपज का सही दाम ले सकें. 

सैमुअल प्रवीण कुमार ने बताया क‍ि इसके तहत प‍िछले चार साल में 79,000 करोड़ रुपये का न‍िजी न‍िवेश आया है. ज‍िससे 75,000 प्रोजेक्ट पास हुए हैं. इसके तहत प्रोजेक्ट लगाने वालों को 6 फीसदी ब्याज दर पर 2 करोड़ रुपये तक का लोन मिलता है. सरकार ब्याज में 3 फीसदी की छूट देती है. लगभग 500 लाख टन की स्टोरेज कैप‍िस‍िटी बनी है. फसलों का नुकसान कम हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में सवा आठ लाख लोगों को रोजगार म‍िला है.

क्या बदलाव हुआ 

अब इस फंड का लाभ स्टॉर्टअप को भी म‍िलेगा. अब यह इंडीव‍िलुअल के ल‍िए भी खोल द‍िया गया है. पहले प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर बनाने के ल‍िए मदद म‍िलती थी लेक‍िन सेकेंडरी के ल‍िए नहीं. जैसे क‍ि आटा बनाने का काम कर सकते थे लेक‍िन उससे ब‍िस्क‍िट बनाने का नहीं. अब यह दोनों काम इस फंड के जर‍िए क‍िए जा सकेंगे. एफपीओ को भी मदद म‍िलेगी. इससे अन्नदाताओं की आय बढ़ेगी.

उत्पादकता बड़ी चुनौती 

कार्यक्रम में मौजूद नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी ने कहा क‍ि क‍िसानों की इनकम और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए पूंजी और इनोवेशन चाहिए. दुन‍िया के कई मुल्कों के मुकाबले भारत में फसलों की उत्पादकता लगभग आधी है. हमारे यहां जमीन अध‍िक है इसल‍िए उत्पादन अधिक हो पा रहा है. अब समय उत्पादकता बढ़ाने का है. लोकल समस्याओं के लिए इनोवेशन चाहिए. नाबार्ड और सरकार दोनों मिलकर किसानों की आय और फसलों की उत्पादकता बढ़ाएंगे. 

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