Goat Farming: बकर‍ियों को 'गरीब की गाय' क्यों कहा जाता है, भारत में इसकी क‍ितनी प्रजातियां हैं?

Goat Farming: बकर‍ियों को 'गरीब की गाय' क्यों कहा जाता है, भारत में इसकी क‍ितनी प्रजातियां हैं?

विश्व में बकरियों की लगभग 108 प्रजातियां हैं. 20वीं पशु गणना वर्ष 2019 के अनुसार, देश में बकरियों की संख्या 14.8 करोड़ तक पहुंच गई है. यह साल 2012 में हुई 19वीं पशु गणना की तुलना में 10.14 प्रतिशत अधिक है. अगर आपको बकरी पालन में फायदा कमाना है तो इन 10 बातों का ध्यान जरूर रखें.

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Goat Farming: बकर‍ियों को 'गरीब की गाय' क्यों कहा जाता है, भारत में इसकी क‍ितनी प्रजातियां हैं?बकरी पालन से जुड़ी 10 खास बातें.

कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने वाले कार्यों में बकरी पालन को भी शाम‍िल क‍िया जाने लगा है. देश में किसान, पशुपालन क्षेत्र में बकरी पालन को गाय के बाद सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. देश में बकरी के दूध का उत्पादन, कुल उत्पादित दूध का लगभग 3 प्रतिशत है. जबक‍ि भैंस का 45 प्रतिशत और गाय का 51 फीसदी योगदान बताया गया है. पशु वैज्ञान‍िक चेतना गंगवार, एके दीक्षित, मनीष कुमार , बी राय और मनीष कुमार ने अपने एक लेख में बताया है क‍ि कम लागत में अधिक लाभ देने के कारण ही बकरी को आमतौर पर 'गरीब की गाय' भी कहा जाता है. देश में बकर‍ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंक‍ि इससे बड़े पैमाने पर लोगों को आजीव‍िका का साधन म‍िल रहा है.

विश्व में बकरियों की लगभग 108 प्रजातियां हैं. इनमें से 37 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं. 20वीं पशु गणना वर्ष 2019 के अनुसार, देश में बकरियों की संख्या 14.8 करोड़ तक पहुंच गई है. यह साल 2012 में हुई 19वीं पशु गणना की तुलना में 10.14 प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2018-19 के अनुसार, देश में बकरी का मांस उत्पादन 1097.91 हजार टन था. अगर आपको बकरी पालन में फायदा कमाना है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा. सतर्क रहना होगा क‍ि उन्हें कोई रोग न लगे.     

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बकरी पालन में ध्यान रखे जाने वाली 10 बातें 

  • एक ही चारागाह में बकर‍ियों को ज्यादा समय तक चरने नहीं देना चाह‍िए. ऐसा करने से उन्हें कृम‍ि रोग हो सकता है. 
  • बीमार बकरी को चरने नहीं भेजना चाह‍िए. 
  • बकरियों का बाड़ा, उनका घर आरामदायक होना चाहिए, जो उन्हें धूप, बरसात, ठंड जंगली जानवर व रोगों से बचाए. 
  • बकरियों के रहने के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए. एक युवा बकरी के लिए 10 वर्गफीट स्थान रहना चाहिए. 
  • सर्दियों में बिछावन के लिए सूखी घास व बोरे के पर्दे लगाकर बकरियों का बचाव करना चाहिए.
  • बाड़े का फर्श समतल, साफ-सुथरा होना चाहिए. छत, घास-फेस, पैरा, एसबेसटास या खपरैल की हो सकती है. 
  • शुद्ध हवा का आवागमन अच्छा होना चाहिए, ताकि पेशाब, गोबर की बदबू न रहे, जिससे सांस का रोग ना हो. 
  • घर पूर्व, पश्चिम दिशा में होना चाहिए, ताकि सूरज की रोशनी घर पर पड़कर घर के अंदर पनपे, कीटाणुओं का नाश कर सकें. 
  • नर-मादा (गाभिन व दुधारू) मेमनों एवं बीमार बकरियों का अलग-अलग रखने के ल‍िए छोटे-छोटे बाड़े तैयार करना चाहिए. 
  • नियमित समय पर बाड़े की साफ-सफाई करवाएं. फिनाईल से धुलाई करवाते रहना चाहिए. 

बकर‍ियों को बीमारियों से ऐसे बचाएं

व‍िशेषज्ञों ने बकरी पालकों को सलाह दी है क‍ि वो हर रोज सुबह बकरियों की जांच करें. जो बकरी बीमार हो उसे बाकी बकरियों से अलग करें, अन्यथा दूसरी बकरियों में रोग फैलने की संभावना रहती है. हर तीन महिने में बकरियों को कृमि नाशक दवाई पिलाएं. विशेष तौर पर बरसात के पहले और बरसात के बाद. यह बहुत जरूरी काम है. इसके लिए अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें. हर चार महिने में बकरियों को खुजली से बचाने के लिए कृमि नाशक दवाई से नहलाएं. इसके लिए अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें.  

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