केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 की शुरुआत की. इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सहकारिता नीति भारत सरकार लेकर आई है. उन्होंने कहा कि भारत के दृष्टिकोण को जो समझता है वो ही भारत की सहकारिता नीति ला सकता है. मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2027 में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और इस लक्ष्य को हम हासिल करेंगे. इसके साथ नागरिकों का विकास हो, इसको भी पूरा करेंगे.
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा, सहकारिता का एक फ्यूचर है. लोग विकास में जो पीछे रह गए हैं उनके दृष्टिकोण से सहकारिता का ही फ्यूचर है. विस्तृत चर्चा के बाद एक कॉपरेटिव नीति बनी है. 750 सुझाव आए हैं जिसके बाद ये नीति बनी. देश के 130 करोड़ लोगों के विकास की चिंता होनी चाहिए और सहकारिता में विकास इसकी चाबी है. मोदीजी ने घर, शौचालय, चाबी, मेडिकल खर्चा दिया. 80 करोड़ लोगों के लिए प्रॉब्लम है कि करें क्या. लोग इससे आगे बढ़ना चाहते हैं वो मेहनत करना चाहते हैं, पूंजी नहीं है. और कॉपरेटिव में इसे पूरा करने की क्षमता है. दलित, आदिवासी, महिला को ध्यान में रखकर सहकारिता नीति तैयार की गई है.
शाह ने कहा, 2047 में विकसित भारत बनाना है, इसी को ध्यान में रखकर सहकारिता नीति बनाई गई है. हर गांव में एक कॉपरेटिव बनना है, यही इस नीति का लक्ष्य है. सारी सहकारी समितियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना, यही इस नीति का लक्ष है. भविष्य की पीढ़ी के लिए कॉपरेटिव नीति तैयार की गई है, 83 हस्तक्षेप के बिंदु हैं, 58 बिंदु पर काम हो चुका है, 3 बिंदु पूरे हो चुके हैं, 22 बिंदु पर नई शुरुआत होगी. निश्चित रूप से जब बारीकी से नई कॉपरेटिव नीति को अमल में लाया जाएगा तो विकसित भारत की ओर हमारा देश बढ़ेगा. समितियों की संख्या में तीस फीसदी बढ़ोतरी होगी और मॉडल सहकारी गांव बनाए जाएंगे.
शाह ने कहा, श्वेत क्रांति से महिलाओं की भागादारी को जोड़ेंगे. सहकारिता मंत्रालय इन नीतियों के इंप्लीमेंटेशन के लिए तैयार है. सामाजिक परिवर्तन हो, ये बातें भी सहकारिता नई नीति में हम लाए हैं. चुनौतियों का मुकाबला करने का लचीलापन ऐसी नीति है. हर 10 साल में जरूरी बदलाव करना होगा, कानून में ऐसी व्यवस्था बनाई गई है.
कई नए सेक्टर में सहकारिता नीति पहुंचेगी ऐसी कोशिश है. 2047 तक जब भारत के आजादी की 100वी वर्षगांठ बनाई जाएगी, उन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ये पॉलिसी बनाई गई है. अर्बन कॉपरेटिव बैंक के लिए बहुत कुछ होना चाहिए. एक अंब्रेला ऑर्गनाइजेशन की जरूरत थी. इस नीति ने ये जरूरत को पूरा किया है. कमर्शियल बैंक के सामने कॉपरेटिव बैंक खड़े हों, ऐसी व्यवस्था इस नीति में हमने किया है. एक्सपोर्ट के लिए भी व्यवस्था है.
पारदर्शी प्रबंधन के आधार पर हम व्यवस्था करेंगे. एक ऐसा कॉपरेटिव सेक्टर बनाना है जिसमें युवा कॉपरेटिव को अपना करियर बनाएं. इस सहकारिता नीति को कोई बढ़ेगा तो इसके मूल तत्व में कॉपरेटिव सेक्टर के सारी समस्याओं के समाधान है. देश भर के पैक्स इसको अडॉप्ट करें, सभी राज्य इसको अडॉप्ट करें. बहुत कठिन था मगर आज मैं बड़े हर्ष के साथ आपको बताता हूं सभी राज्यों ने मॉडल को अडॉप्ट कर लिया है, विदाउट एनी पॉलीटिकल डिफरेंस.
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में अब तक 4108 को स्वीकृति मिल चुकी है. पेट्रोल डीजल के रिटेल आवेदन में 393 पैक्स यह काम कर चुके हैं. एलपीजी की डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भी 100 से ज्यादा पैक्स काम कर चुके हैं. श्वेत क्रांति 2 आने वाले दिनों में ग्रामीण विकास का बहुत बड़ा पिलर है और इसमें महिलाओं की भूमिका प्रमुख है.
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