जब आत्मा में स्वराज की आग हो और हृदय में सहयोग का दीप जल उठे, तो कोई शक्ति रोक नहीं सकती. 14 सितम्बर 2025 को VAMNICOM एलुमनाई का दूसरा वार्षिक महासम्मेलन इसी ऊर्जा का ज्वलंत प्रमाण बन गया. पुणे से लेकर देश-विदेश तक जुड़े सहकारी सेनानी और युवा सपने देखने वाले एक ही स्वर में गूंज उठे-“सहकार ही समृद्धि का रास्ता है, हम सब एक हैं और भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे.”
सभा का आलोक और भी प्रखर हुआ जब मुख्य अतिथि डॉ. डी.के. सिंह (IAS, सेवानिवृत्त), चेयरमैन, कोऑपरेटिव इलेक्शन अथॉरिटी व सहकारिता मंत्रालय के संस्थापक सचिव, ने अपनी गहरी दृष्टि से सबको प्रेरित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राजवीर शर्मा, चेयरमैन, आईआईपीए दिल्ली रीजन ने की. मंच पर डॉ. के.के. त्रिपाठी (आईईएस एवं संयुक्त सचिव, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद), डॉ. सुवा कांत मोहंती (निदेशक, VAMNICOM), डॉ. संजिब पात्रजोशी, नेपाल से राजेश भट्टराई, डॉ. एच.के. मिश्रा और अमरेली जिला सहकारी संघ के अध्यक्ष मनीष शांघानी जैसे दिग्गजों की उपस्थिति ने इस सम्मेलन को एक विराट जनोत्सव में बदल दिया.
इस उत्साही माहौल में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया- “वन इंस्टिट्यूशन, वन एलुमनाई”, यानी एक संस्था, एक परिवार. यही वह संकल्प है जो सहकारी शिक्षा और नेतृत्व को नई दिशा देगा.
सम्मेलन में यह भी तय हुआ कि देशभर में 500 कैंपस सहकारी समितियां स्थापित की जाएंगी. यह सिर्फ़ लक्ष्य नहीं, बल्कि एक आंदोलन है-जहां हर विश्वविद्यालय और कॉलेज में सहकार का बीज बोया जाएगा. यहां से उठेगी नई पीढ़ी की सहकारी क्रांति, जो अपने गांव-कस्बों में आत्मनिर्भरता और साझा समृद्धि की लौ जलाएगी.
इस ऐतिहासिक पहल को आगे बढ़ाने का जिम्मा AADVAM (एसोसिएशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ VAMNICOM एलुमनाई मूवमेंट) ने उठाया है. AADVAM हर ज़रूरी टूलकिट, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देकर देशभर के एलुमनाई, शिक्षाविदों और पेशेवरों को जोड़ेगा, ताकि यह सपना धरातल पर उतरे. इसका असली मक़सद है औपनिवेशिक सोच की बेड़ियां तोड़ना और आत्मसम्मान व स्वदेशी नेतृत्व को नई ऊंचाई देना.
प्रधानमंत्री के पांच प्रण- राष्ट्रीय एकता, भारतीय विरासत का गर्व, आत्मनिर्भरता, औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति और नागरिक कर्तव्य- को जीवन में उतारने का यही समय है.
सभा के दौरान डॉ. डी.के. सिंह ने कहा, “मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ एक्ट के अंतर्गत सहकारी चुनावों में सुधार केवल कानून का मामला नहीं, यह पारदर्शी और जन-केंद्रित लोकतंत्र की आत्मा है. AADVAM अपनी प्रतिबद्धता और देशव्यापी पहुंच के साथ ‘सहकार से समृद्धि’ के सपने को साकार करने में बड़ा भागीदार बन सकता है.”
दिनकर के ओजस्वी स्वर की भावना में यह पंक्तियां सम्मेलन के संकल्प को आवाज़ देती हैं:
जागो नौजवानो, समय पुकारे,
भूले हुए गौरव को फिर से संभाले.
सहकार की गाथा गूंजे हर द्वारे,
भारत फिर स्वाभिमान की राह निकाले.
यह केवल एक बैठक नहीं थी, बल्कि पुनर्जागरण का शंखनाद था. एक संस्था, एक एलुमनाई की भावना और पांच प्रण के संकल्प के साथ, हम सब मिलकर भारत की सहकारी गाथा का अगला स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे- औपनिवेशिक छाया से मुक्त, भारतीय आत्मा से ओतप्रोत.
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