गाजीपुर ज़िले के गठिया गांव में बिजली के पोल लगाने को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि एक भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय (35 वर्ष) की पुलिस लाठीचार्ज में मौत हो गई. ये घटना बिजली विभाग की लापरवाही और पुलिस प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई का नतीजा बताई जा रही है.
गांव में बिजली विभाग द्वारा खेतों में पोल लगाए जा रहे थे. ओंकार राय के खेत से होकर बिजली की लाइन ले जानी थी, लेकिन उनके भतीजे अभिषेक राय ने पोल अरविंद राय के खेत में लगवा दिए. अरविंद राय ने जब इसका विरोध किया तो उनकी बात नहीं सुनी गई.
अभिषेक राय ने कहा "जो बिजली विभाग कहेगा, हम वही करेंगे. तो वहीं अरविंद राय का आरोप है की "हमारे खेत में जबरदस्ती पोल गाड़ दिए गए, थाने गए लेकिन सुनवाई नहीं हुई."
अरविंद राय और उनके भाई संतोष राय ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग के कुछ प्राइवेट कर्मचारी और नोनहरा थानाध्यक्ष ने घूस लेकर पोल लगवाए. जब उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो प्रदर्शन और धरना किया गया.
धरने के दौरान रात में अचानक लाइट बंद कर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इसी दौरान भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय, जो कि विकलांग भी थे, बेकसूर फंस गए और उनकी मौत हो गई. किसान अरविंद राय भी इस लाठीचार्ज में घायल हुए.
चक रोड (कच्ची सड़क) के एक तरफ ओमकार राय का खेत है, और दूसरी तरफ अरविंद राय का खेत है. अरविंद के खेत में जबरन बिजली के खंभे लगाए गए थे, यही विवाद का कारण था. दोनों पक्षों ने माना कि सियाराम उपाध्याय निर्दोष थे और उनकी मृत्यु अत्यंत दुखद है. उनका न तो विवाद से कोई लेना-देना था और न ही वे गठिया गाँव के निवासी थे, वे बगल के गांव रुकुंदीपुर के रहने वाले थे.
यह घटना दर्शाती है कि कैसे बिजली विभाग की लापरवाही, प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई, और पुलिस की बर्बरता ने एक निर्दोष जान ले ली. यह सिर्फ एक बिजली पोल लगाने का मामला था, लेकिन समझदारी और संवाद की कमी ने इसे बड़ा विवाद बना दिया.
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