अब किसानों को मंडी में कामकाज के दौरान भूखे पेट नहीं रहना पड़ेगा. सरकार ने ‘किसान कलेवा योजना’ की शुरुआत की है. इसके तहत मंडी में आने वाले किसानों और पल्लेदारों को सिर्फ 5 रुपये में भरपेट और पौष्टिक थाली उपलब्ध कराई जाएगी. यह पहल न सिर्फ किसानों की जेब पर हल्की है, बल्कि उनकी सेहत का भी ध्यान रखेगी. इस योजना का मकसद किसानों और श्रमिकों को सस्ती दर पर भरपेट और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करना है.
योजना के तहत हर लाभार्थी को 5 रुपये में पौष्टिक थाली दी जाएगी. थाली की सामग्री इस प्रकार होगी-
इस योजना का लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा, जो मंडी प्रांगण में कृषि उपज बेचने आते हैं. इनमें, किसान अनुज्ञापत्रधारी हमाल, पल्लेदार और तुलारा शामिल हैं. योजना के तहत भोजना का वितरण कूपन प्रणाली से किया जाएगा. भोजन पाने के लिए कूपन प्रणाली लागू की गई है. हर मंडी के गेट एंट्री कार्ड पर अधिकतम दो कूपन जारी होंगे. अनुज्ञापत्रधारी हमाल/पल्लेदार/तुलारा को उनकी अनुज्ञापत्र संख्या के आधार पर एक कूपन मिलेगा. लाभार्थी कूपन संचालक को देंगे, जिसके बाद कोड वेरिफाई कर उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.
इस योजना को साल 2009 में तत्कालील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से सबसे पहले लॉन्च किया गया था. उस समय इसका नाम 'आपणी रसोई' था. साल 2014 में वसुंधरा राजे की सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर किसान कलेवा योजना कर दिया गया और इसमें जरूरी सुविधाएं जोड़ी गई. आज प्रदेश भर की A और B श्रेणी की फल और अनाज मंडियों में यह योजना किसानों और मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही है.
किसान कलेवा योजना के तहत मंडी में आने वाले किसान और पल्लेदार सिर्फ 5 रुपये का टोकन कटवाकर भरपेट भोजन खा सकते हैं. इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार भोजन परोसने वाले संचालक को 35 रुपये प्रति थाली सब्सिडी भी देती है. किसानों का कहना है कि जब वे सुबह-सुबह फसल लेकर मंडी पहुंचते थे तो दिनभर खाने की व्यवस्था करना मुश्किल होता है. अब इस योजना से उन्हें राहत मिली है. हर दिन सवा सौ ग्राम दाल और अलग-अलग सब्जी दी जाती है, जिससे भोजन पौष्टिक और स्वादिष्ट बनता है.
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