राजस्थान के बीकानेर जिले के किलचू गांव का एक साधारण किसान चतुर्भुज मेघवाल, आज लाखों किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है. परंपरागत खेती करने वाले चतुर्भुज ने जब पॉलीहाउस में खीरे की खेती शुरू की, तब उन्होंने नहीं सोचा था कि एक दिन खीरा उनके लिए हीरे से भी कीमती साबित होगा. खीरे की खेती अब सिर्फ परंपरागत खेती तक सीमित नहीं रही. पॉलीहाउस तकनीक और राज्य सरकार की मदद से यह अब किसानों के लिए लाखों की कमाई का जरिया बन रही है.
कृषि उद्यान विभाग की ‘उद्यानिकी नवाचार योजना’ के तहत चतुर्भुज ने राज किसान साथी पोर्टल पर आवेदन किया और उन्हें पॉलीहाउस निर्माण के लिए 95 फीसद तक अनुदान मिला. इसके तहत जयपुर की एक अधिकृत फर्म ने 4048 स्क्वेयर मीटर (44x92) का पॉलीहाउस बनाया और उसमें ड्रिप सिंचाई सिस्टम भी लगाया गया. चतुर्भुज को केवल 5 फीसद की लागत यानी जीएसटी राशि ही खुद से देनी पड़ी.
चतुर्भुज ने पॉलीहाउस में करीब 10,000 खीरे के बीज लगाए. लगभग 60 से 70 दिन में खीरे की फसल तैयार हो गई, जिसमें एक महीने के अंदर ही पैदावार शुरू हो गई. प्रति बेल करीब 28 किलो खीरे की उपज मिली. इस एक फसल से ही चतुर्भुज को 8 से 10 लाख रुपये का मुनाफा हुआ.
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पॉलीहाउस में मौसम का असर कम होता है.
ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है.
कीटों का प्रभाव कम होता है जिससे खीरे की गुणवत्ता अच्छी रहती है.
60 से 70 दिन में फसल तैयार हो जाती है.
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राजस्थान सरकार की ‘उद्यानिकी नवाचार योजना’ के तहत किसान राज किसान साथी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं. योजना के अंतर्गत पॉलीहाउस, ड्रिप सिस्टम और अन्य सुविधाओं पर कुल लागत का 95 फीसद तक अनुदान दिया जाता है. इससे छोटे और मध्यम किसान भी आधुनिक खेती अपना सकते हैं.
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