गर्मियों में गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम न हो इसके लिए पशुपालक तरह-तरह के उपाय करते हैं. इतना ही नहीं दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे इसलिए पशुओं को कई तरह की खुराक दी जाती है. क्योंकि अब ये सिस्टम पुराना हो चुका कि जैसा गाय-भैंस ने दूध दिया वैसा ही आगे बेच दिया. अब तो नई-नई तकनीक के चलते डेयरी फार्म से ही दूध की गुणवत्ता जांचने का काम शुरू हो जाता है. फार्म पर पशु का दूध दुहाने के दौरान दूध कहीं दूषित तो नहीं हुआ है इसकी जांच भी अब खरीदार डेयरी कंपनियां फार्म पर ही करने लगी हैं.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध और डेयरी प्रोडक्ट की गुणवत्ता अब इस बात पर भी निर्भर करती है कि दूध साफ-सुथरा है कि नहीं, कहीं पशु फार्म की गंदगी तो दूध में शामिल नहीं हो गई है. लागत को बढ़ाए दूध उत्पादन कैसे बढ़े, गाय-भैंस हेल्दी कैसे रहे. उत्पादन के दौरान दूध की गुणवत्ता को बरकरार कैसे रखा जाए, कुछ इसी तरह के सवालों का जवाब जानने के लिए किसान तक ने बात की एनिमल एक्सपर्ट और पशु चिकित्सक डॉ. बीएस कुमार से.
एनिमल एक्सपर्ट डॉ. बीएस कुमार का कहना है कि अगर दूध और उससे बने प्रोडक्ट की क्वालिटी को बढ़ाने के साथ ही बरकरार रखना है तो साफ-सुथरे तरीके से पशु फार्म में दूध उत्पादन करना होगा. इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि रोजाना ही खासतौर पर गर्मियों में पशुओं को नहलाया जाए. ऐसा करने से पशु संक्रमण से दूर रहेगा. जब संक्रमण नहीं होगा तो बीमारियां नहीं होंगी और दवाईयों का खर्च बच जाएगा. वहीं समय-समय पर गाय-भैंस के खुर कटवाते रहें. खुर कटते रहने से भी पशु संक्रमण से बचता है. खासतौर से खुरपका बीमारी पशुओं से दूर रहती है.
तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि बाड़े में पशु जहां बैठता और खड़ा होता है वहां उसका बिस्तर साफ रहे. जैसे सर्दियों में रबर की मैट बिछाई गई है तो उसे हमेशा साफ रखें. गर्मियों में अगर कच्चे-पक्के फर्श पर पशु बैठता या खड़ा होता है तो उस जगह को भी अच्छी तरह से साफ करते रहें. गाय-भैंस की बैठने और खड़े होने वाली जगह भी अगर साफ रहती है तो तमाम तरह की बीमारियों का अटैक पशुओं पर नहीं होता है.
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