प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत फसलों का बीमा करने वाली एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी (AIC) ने हरियाणा के सात जिलों से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है. जबकि, किसान उसको प्रीमियम जमा कर चुके थे. कंपनी के इस फैसले से किसान चिंता में पड़ गए हैं कि वो करें तो क्या करें. अब अगर किसी प्राकृतिक आपदा से फसलों का नुकसान हो जाएगा तो क्या होगा. मुआवजा कैसे मिलेगा? अब इस मसले पर सूबे के कृषि मंत्री जेपी दलाल का बयान आया है, जिससे परेशान किसानों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनी द्वारा जिन किसानों का बीमा नहीं किया गया है, अब उनका बीमा प्रदेश सरकार करेगी.
कृषि मंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया है कि किसान भाइयों को चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. सरकार हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ने जिन जिलों में योजना को लागू करने से इनकार किया है उनमें अंबाला, हिसार, गुरुग्राम, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़ और सोनीपत शामिल हैं. इनमें फसलों का बीमा करने के लिए एआईसी को टेंडर दिया गया था, जिसके तहत 31 जुलाई तक किसानों के बैंक अकाउंट से प्रीमियम की रकम काटी गई थी. एआईसी पब्लिक सेक्टर की कंपनी है.
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अब कृषि विभाग ने स्टेट लेवल बैंकर कमेटी, चंडीगढ़ को पत्र लिखकर इन सभी सात जिलों के सभी बैंक शाखाओं को किसानों का प्रीमियम तत्काल प्रभाव से वापस करने का निर्देश देने को कहा है. ताकि किसानों को नुकसान न हो. अब इसी पैसे से राज्य सरकार खुद बीमा करवाएगी. प्रीमियम की रकम पुरानी ही रहेगी. यानी बीमा के लिए किसानों को अतिरिक्त पैसा देने की जरूरत नहीं है.
एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ने जिन सात जिलों में किसानों से प्रीमियम लेने के बावजूद योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है उनमें अंबाला, करनाल और सोनीपत ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इस साल बाढ़ से बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ है. जबकि महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम में बाजरे की फसल पर अमेरिकन बॉलवर्म हेलीकोवर्पा आर्मिजेरा (अमेरिकन सुंडी) का अटैक हुआ है.
महेंद्रगढ़ में बोए गए 2,49,655 एकड़ बाजरा में से 1,15,950 एकड़ फसल इससे खराब हुई है. जबकि, गुरुग्राम में 1,75,120 में से 4,942 एकड़ फसल अमेरिकन सुंडी की भेंट चढ़ गई है. सवाल यह है क्या इसीलिए कंपनी ने किसानों से प्रीमियम काटने के बावजूद योजना को लागू नहीं किया या फिर माजरा वो है जो कृषि मंत्री बता रहे हैं.
बहरहाल, मामला जो कुछ भी हो, लेकिन कृषि मंत्री जेपी दलाल ने प्रभावित किसानों को राहत दिलाने का एलान कर दिया है. राज्य सरकार प्रीमियम वापस करवा रही है. उधर, मंत्री ने कहा है कि बीमा कंपनी द्वारा जिन किसानों का बीमा नहीं किया गया है, अब उनका बीमा प्रदेश सरकार करेगी. देखना है कि राज्य सरकार कब तक अपना वादा पूरा करती है.
दलाल ने कहा कि हरियाणा में बीमा कंपनियों के लिए तीन क्लस्टर बनाए गए हैं. क्लस्टर-1 में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी, भारत सरकार को बीमा का काम दिया हुआ है. क्लस्टर–2 भी इसी कंपनी को आवंटित किया गया था, लेकिन अदालत में मामला होने के कारण कंपनी ने इस क्लस्टर में काम करने से मना कर दिया.
ऐसे में किसानों के हितों को देखते हुए अब सरकार ने निर्णय लिया है कि क्लस्टर-2 में जिन किसानों ने प्रीमियम राशि भरी हुई है और अगर कंपनी बीमा नहीं करती है तो कृषि विभाग उनका बीमा करेगा. प्रीमियम राशि में भी कोई बदलाव नहीं होगा. उम्मीद है कि बीमा कंपनी के फैसले से परेशान किसानों को कृषि मंत्री के आश्वासन से राहत मिलेगी.
हरियाणा में एआईसी कई साल से काम कर रही है. कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022-23 की बात करें तो यहां एआईसी, बजाज एलियांज और रिलायंस जनरल को काम मिला हुआ था. एआईसी को कुल प्रीमियम 703.84 करोड़ रुपये का मिला. बजाज एलियांज को 209.91 जबकि रिलायंस जनरल को 363.24 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला.
वहीं 2021-22 में एआईसी को कुल प्रीमियम के तौर पर 618.51 करोड़ रुपये की रकम मिली थी. लेकिन, उसे किसानों को 953.06 करोड़ रुपये का क्लेम देना पड़ा था. प्रीमियम के तीन हिस्से होते हैं. एक हिस्सा किसान, दूसरा राज्य सरकार और तीसरा केंद्र सरकार देती है.
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