अगस्त महीना शुरू हो चुका है. इस महीने पर फोकस इसलिए है क्योंकि मौसम विभाग पहले कुछ जरूरी अलर्ट जारी कर चुका है. ये अलर्ट अल नीनो (El Nino) को लेकर है. मौसम विभाग ने दो महीने पहले अपने एक पूर्वानुमान में कहा था जुलाई के बाद देश में अल नीनो के हालात बन सकते हैं. इससे मौसम में बदलाव होने और फसलों पर बुरा असर पड़ने की आशंका बनती है. अकसर ऐसा देखा गया है कि जब-जब अल नीनो सक्रिय हुआ है, तब-तब देश में फसलों और उपज का भारी नुकसान हुआ है. अगर इस बार भी ऐसा हुआ तो किसान घोर मुसीबत में फंस जाएंगे. पिछले कई महीने से किसान मौसम की मार झेल रहे हैं. पहले बेमौसमी बारिश और उसके बाद मॉनसून की बिगड़ी चाल. इससे किसानों की कई फसलें मारी गई हैं. ऐसी आशंका अल नीनो के साथ भी जताई जा रही है. ऐसे में जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा (PM Fasal Bima Yojana) कराया है, वे नुकसान का मुआवजा आसानी से उठा सकते हैं.
आइए जानते हैं कि अल नीनो के दौरान क्या होता है. जब अल नीनो सक्रिय होता है तो मौसमी पैटर्न में कई बदलाव देखे जाते हैं. सूखा पड़ने से फसलों की सिंचाई के लिए पानी की कमी हो जाती है. इतना ही नहीं, अल नीनो में फसलों पर कीट और बीमारियों का हमला शुरू हो जाता है. नतीजतन, उपज की पैदावार गिर जाती है. जिन इलाकों में मौसम में बदलाव तेजी से होता है, वहां अल नीनो का असर सबसे अधिक देखा जाता है क्योंकि वहां गंभीर सूखा पड़ता है. इससे पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है और किसान नुकसान में पड़ जाता है. यह नुकसान किसान को कर्ज के जाल में फंसा देता है. इससे बचने का यही उपाय है कि वह फसलों का बीमा कराए.
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फसल को अल नीनो से हुए नुकसान से बचाने में PM Fasal Bima Yojana बेहद कारगर है. प्राकृतिक आपदा हो या खेती की गतिविधियों से हुआ नुकसान, ऐसे हालात में फसल बीमा किसानों को बहुत राहत देता है. जैसे, प्राकृतिक आपदा, मौसम में बेतरतीब बदलाव, कीटनाशक, बीमारी और पैदावार में भारी गिरावट जैसी परिस्थितियों में फसल बीमा किसानों को मुआवजा दिलाने का काम करता है.
अगर फसल का नुकसान अल नीनो और उससे हुए मौसमी पैटर्न के चलते होता है, तो किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकते हैं. बीमा क्लेम के मिले पैसे से किसान नुकसान की भरपाई कर सकते हैं. किसान क्लेम के पैसे से अगली फसल को बो सकते हैं. अगर किसान के सिर पर खेती से जुड़ा कोई लोन हो, तो फसल बीमा के पैसे से उस चुकाया जा सकता है.
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किसान की फसल का जब बीमा हुआ रहता है, तो किसान बेफिक्र होकर खेती करता है. इसमें वह खेती में नए-नए प्रयोग भी करता है. इस प्रयोग में फसलों की वैसी वैरायटी भी बोई जाती हैं जो सूखा या मौसमी बदलाव को झेल सकें. किसान पानी बचाने की तकनीक और सिंचाई के तरीकों पर गौर कर सकते हैं. इससे किसान लंबी अवधि के लिए अल नीनो के प्रभावों से अपनी फसलों को बचा सकते हैं.
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