सिल्क सेक्टर को बढ़ावाओडिशा सरकार ने सिल्क सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, राज्य में सिल्क प्रोडक्शन और ग्रामीण इंडस्ट्री की ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दो स्कीम शुरू करने का फैसला किया है. इस योजना का नाम चीफ मिनिस्टर सिल्क डेवलपमेंट स्कीम और चीफ मिनिस्टर वीविंग इंडस्ट्री डेवलपमेंट है. इसकी जानकारी विधानसभा में एक मंत्री ने शनिवार को दिया. यह फैसला शुक्रवार को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट मीटिंग में लिया गया.
कैबिनेट के फैसलों की घोषणा शनिवार को विधानसभा में पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर मुकेश महालिंग ने की. महालिंग ने कहा कि 274 करोड़ रुपये की CM सिल्क डेवलपमेंट स्कीम को पांच सालों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल-बिल्डिंग पहल के ज़रिए राज्य के सेरीकल्चर इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए खर्च किया जाएगा.
यह स्कीम सिल्कवर्म सीड तैयार करने, स्पीशीज कंजर्वेशन और किसानों को प्रोत्साहन देने पर फोकस करके 'अहिंसा' (नॉन-वायलेंट) सिल्क समेत एथिकल सिल्क प्रोडक्शन को बढ़ावा देगी. मंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव सोसाइटी सिल्क प्रोडक्ट्स की बेहतर मार्केटिंग में मदद करेंगी, किसानों को मजबूरी में बेचने से बचाएंगी और सस्टेनेबल ग्रोथ सुनिश्चित करेंगी.
कैबिनेट ने 490 करोड़ रुपये की चीफ मिनिस्टर वीविंग इंडस्ट्री डेवलपमेंट स्कीम को भी मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि यह रकम पांच साल में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने, लोकल इंडस्ट्री को मजबूत बनाने और रोजगार के मौके बढ़ाने पर खर्च की जाएगी.
महालिंग ने कहा कि इस स्कीम के तहत, ओडिशा को वीविंग इंडस्ट्री का उभरता हुआ हब बनाने के मकसद से नई टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को प्रोत्साहन दिए जाएंगे. कैबिनेट ने ओडिशा फिशरीज़ सर्विस कैडर को रीस्ट्रक्चर करने का भी फ़ैसला किया और ओडिशा फार्मा एंड मेडिकल डिवाइस पॉलिसी 2025 पर एक प्रपोजल को मंज़ूरी दी.
अहिंसा सिल्क रेशम उत्पादन का एक ऐसा तरीका है जिसमें रेशम के कीड़ों को उनके कोकून से निकलने के दौरान मारा नहीं जाता, बल्कि उन्हें अपने जीवन चक्र पूरा करने और पतंगे बनने के बाद खाली कोकून से रेशम निकाला जाता है, जिससे किसी भी जीव को कोई नुकसान नहीं पहुंते. यह पारंपरिक रेशम से अलग है, जहां रेशम के धागे निकालने के लिए कोकून को गर्म पानी में उबालकर कीड़ों को मार दिया जाता है, जो अहिंसक रेशम में नहीं होता, जिससे यह नैतिक और क्रूरता-मुक्त विकल्प बन जाता है. (PTI)
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