केंद्र की खेती-किसानी वाली योजनाओं ने महाराष्ट्र चुनाव में बड़ा रोल निभाया है. आंकड़े बताते हैं कि महायुति सरकार को अगर छप्परफाड़ वोट मिले हैं, तो उसमें केंद्र सरकार की कृषि योजनाओं की भूमिका सबसे बड़ी है. उसमें भी पीएम किसान स्कीम (PM-Kisan) का रोल सबसे अहम देखा जा रहा है. महाराष्ट्र की अधिसंख्य आबादी खेती पर निर्भर है जिनके सामने कई समस्याएं हैं. महंगी लागत, कर्ज का बोझ, भूजल की कमी और मौसम की मार इसमें सबसे प्रमुख हैं. यही वजह है कि महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या सबसे अधिक है. इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और महायुति ने किसानों के मुद्दे को सही ढंग से पकड़ा और अपने को किसानों से जोड़ा. किसानों को भी इसमें आशा की किरण दिखी और उन्होंने महायुति को छप्परफाड़ वोट दिया.
इसे लेकर 'दि हिंदू-लोकनीति सीएसडीएस' ने एक सर्वे किया है. सर्वे का लब्बोलुआब यही है कि केंद्र की कृषि योजनाओं ने किसानों को महायुति की तरफ मोड़ा और उन्होंने थोक में वोट दिया. इसमें महायुति को सबसे बड़ी मदद पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan) से मिली जिसमें किसानों को तीन किस्तों में सालाना 6,000 रुपये दिए जाते हैं. महाराष्ट्र की 76 परसेंट आबादी में यह योजना सुपर हिट है. इस योजना के लाभार्थियों में 51 परसेंट ने जहां महायुति को वोट दिया, वहीं 35 फीसद वोट महाविकास अघाड़ी को मिले. अन्य के खाते में 14 परसेंट वोट गए.
केंद्र सरकार की दूसरी बड़ी स्कीम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) है जिसका फायदा महाराष्ट्र चुनाव में महायुति को मिला. महाराष्ट्र के 55 परसेंट किसान समुदाय इस योजना से जुड़े हैं और 38 परसेंट लोग इस योजना के लाभार्थी नहीं हैं. इस बार के चुनाव में इस योजना के 57 फीसदी लाभार्थियों ने महायुति को वोट दिया जबकि 31 फीसद लाभार्थियों का वोट अघाड़ी को गया. लाभार्थी में 12 परसेंट लोगों ने अन्य को तो गैर-लाभार्थी के 21 परसेंट वोटर्स ने अन्य के खाते में वोट दिया.
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केंद्र सरकार की तीसरी सबसे प्रमुख योजना प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (PM-KMY) है जिसका फायदा महायुति को चुनाव में मिला है. महाराष्ट्र में 37 फीसद किसान इस योजना के लाभार्थी हैं जबकि 51 परसेंट किसान इस योजना का लाभ नहीं लेते. यानी एक बड़ी आबादी इस योजना से नहीं जुड़ी है. इस बार के चुनाव में पीएम किसान मान धन योजना के 54 फीसद लाभार्थियों ने महायुति को जबकि 33 फीसद लाभार्थियों ने अघाड़ी को वोट दिया. लाभार्थियों में 13 फीसद लोगों ने अन्य को जबकि गैर-लाभार्थियों में 17 परसेंट लोगों ने अन्य के खाते में वोट दिया.
चौथी महत्वपूर्ण योजना शेतकरी सम्मान योजना है जिसमें पीएम किसान स्कीम की तरह किसानों के खाते में नकद राशि जमा कराई जाती है. यह स्कीम महाराष्ट्र सरकार की अपनी स्कीम है, लेकिन केंद्र की पीएम किसान सम्मान स्कीम के साथ मिलकर चलती है. इसमें पीएम-किसान स्कीम का पैसा जोड़कर किसानों के खाते में जमा कराया जाता है. महाराष्ट्र में 40 परसेंट किसान परिवार शेतकरी स्कीम से जुड़े हैं जिनमें 53 परसेंट लोगों ने महायुति को वोट दिया जबकि 35 फीसद लाभार्थियों ने अघाड़ी को वोट दिया. प्रदेश में 47 फीसद लोग इस योजना से नहीं जुड़े हैं जिनमें 45 परसेंट लोगों ने महायुति को जबकि 38 फीसद वोटर्स ने अघाड़ी को मतदान किया.
सर्वे बताता है कि महाराष्ट्र के फुल टाइम खेती-किसानी में लगे 48 परसेंट परिवारों ने महायुति को जबकि 34 परसेंट लोगों ने अघाड़ी को वोट दिया. इसी तरह पार्ट टाइम खेती करने वाले 54 परसेंट लोगों ने महायुति को तो 35 परसेंट ने अघाड़ी को वोट दिया. वैसे परिवार जो खेती-किसानी में नहीं हैं, उनमें 46 परसेंट लोगों ने महायुति को तो 32 परसेंट लोगों ने अघाड़ी को वोट दिया. वैसे किसान जिन्होंने वोट करते वक्त खेती के मुद्दे को अपना मुख्य मुद्दा बनाते हुए वोट दिया उनमें 53 फीसद लोगों ने महायुति को चुना जबकि 31 फीसदी किसानों ने अघाड़ी को चुना.
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इन बातों से तय होता है कि इस बार महाराष्ट्र में अगर महायुति को रिकॉर्ड वोट मिले हैं, तो उसमें किसानों का बड़ा रोल है. उसमें भी बड़ा रोल केंद्र सरकार की उन योजनाओं का है जो पूरी तरह से किसानों के कल्याण में चलाई जाती हैं.
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