किसान रेल सेवा को शुरू हुए दो साल चार महीने हो चुके हैं. इसका मकसद किसानों की ताजी सब्जियां-फल को एक शहर से दूसरे शहर तक वक्त से पहुंचना है. इतना ही नहीं किसानों के जरूरत की मशीनरी और यूरिया भी समय पर मिल जाए इसका भी खयाल रखा जाता है. कोरोना-लॉकडाउन के दौरान जब रोड ट्रांसपोर्ट की रफ्तार धीमी थी तब किसान रेल से बड़ी राहत मिली थी. हाल ही में केन्द्र सरकार ने किसान रेल का अब तक लेखा-जोखा संसद रखा है.
किसान रेल सेवा कब शुरू हुई और कहां-कहां जाती, कितने राज्यों में संचालित है आदि की जानकारी हाल ही में रेल मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में संसद में दी है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि किसानों से जुड़ा कितना सामान अब तक किसान रेल से ढोया गया है. कितने रूट पर किसान रेल चल चुकी है इसकी जानकारी भी रिपोर्ट में दी गई है.
रेल मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी देते हुए बताया है कि 7 अगस्त 2020 को किसान रेल सेवा की शुरुआत की गई थी. तब से लेकर 30 नवंबर तक 2022 तक किसान रेल से सब्जी, फल, दूध और किसानों के इस्तेमाल में आने वाली मशीनरी समेत यूरिया और दूसरी चीजों को ट्रांसपोर्ट किया गया. रिपोर्ट के तैयार होने तक 7.9 लाख टन माल की ढुलाई किसान रेल से हो चुकी है. रेलवे ने 167 रूट पर 2359 किसान रेल चलाई है.
रेलवे के जानकारों का कहना है कि खासतौर से सब्जी, दूध और दूध से बना सामान सप्लाई करने के लिए कोरोना-लॉकडाउन के दौरान 1988 ट्रेन का संचालन किया था. खासतौर से दूध और सब्जी लेकर उसे देश के दूसरे जरूरतमंद शहरों में पहुंचाया गया. इस दौरान रेलवे ने 54,292 टन सामान की ढुलाई की और 19.77 करोड़ रुपये की इनकम हुई.
रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक आंध्रा प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली , गुजरात, कर्नाटक, मध्यप प्रदेश, महाराष्ट्र , नागालैंड, पंजाब, राजस्थाान, तेलंगाना, त्रिपुरा, यूपी, बंगाल और जम्मूु-कश्मीरर में किसान रेल का संचालन किया जा रहा है. किसान रेल चलाने के साथ इस बात का भी खयाल रखा जा रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today