यूपी में एग्रीकल्‍चर ड्रोन, पराली मैनेजमेंट मशीनों पर मिल रही भारी सब्सिडी, ये है आवेदन की आखिरी तारीख

यूपी में एग्रीकल्‍चर ड्रोन, पराली मैनेजमेंट मशीनों पर मिल रही भारी सब्सिडी, ये है आवेदन की आखिरी तारीख

उत्‍तर प्रदेश में किसानों को अलग-अलग योजनओं के माध्‍यम से लाभ पहुंंचाया जा रहा है. इसी क्रम में सरकार सबमिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन और फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि यंत्र (मशीन) पर किसानों को सब्सिडी दे रही है. अब इस योजना में आवेदन के लिए कुछ दिन ही बचे हैं.

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यूपी में एग्रीकल्‍चर ड्रोन, पराली मैनेजमेंट मशीनों पर मिल रही भारी सब्सिडी, ये है आवेदन की आखिरी तारीखपराली प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी

उत्‍तर प्रदेश में सरकार किसानों के फायदे के लिए कई योजनाएं चला रही है. योजनाओं के तहत खेती में उन्‍नत तरीकों और आधुनिक मशीनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी क्रम में कृषि विभाग सब्सिडी पर कृषि यंत्र (मशीन) दे रहा है. इस योजना का लाभ लेने के लिए विभाग ने किसानों और एफपीओ से 20 दिसंबर तक आवेदन मंगाए हैं. कृषि विभाग एग्रीकल्‍चर ड्रोन, फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र (पराली मैनेजमेंट मशीन), कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक पर 50 से 80 फीसदी सब्सिडी दे रहा है. इसके लिए आवेदनकर्ता को 2500-5000 रुपये बुकिंग शुल्क देना होगा. इच्छुक किसान/एफपीओ ऑनलाइन पोर्टल https://agriculture.up.gov.in/ पर आवेदन कर सकते हैं.

इस योजना के तहत दी जा रही सब्सिडी

कृषि विभाग की ओर से चलाई जा रही सबमिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन और फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि मशीनों पर किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. प्रदेश की योगी सरकार की कोशि‍शों की वजह से प्रदेश में पिछले सात सालों में लगातार पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. प्रदेश में वर्ष 2017 में पराली जलाने के 8,784 मामले दर्ज सामने आए थे, वहीं वर्ष 2023 में 3,996 ही मामले सामने आए हैं. पिछले सात सालों का रिकॉर्ड देखें तो पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट देखी गई है. इस प्रकार करीब 4,788 मामले कम हुए हैं.

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पराली प्रबंधन से बढ़ रही आय

सरकार की नीतियों के माध्‍यम से राज्‍य के किसान पराली को जलाने की जगह उसका प्रबंधन कर अपनी आय में बढ़ेतरी कर रहे हैं. इससे न सिर्फ उनकी आय बढ़ रही है, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षि‍त हो रहा है, क्‍योंकि पराली जलाने से मिट्टी के तत्‍व और अच्‍छे जीव भी नष्‍ट हो जाते थे और किसानों को अगली फसल में ज्‍यादा रासायनिक खाद और दवाओं का छिड़काव करना पड़ता थे. वहीं उनकी खेती की लागत भी बढ़ती थी. लेकिन सरकार की योजनाओं के माध्‍यम से किसान पराली प्रबंधन करने लगे हैं और उन्‍हें इसका फायदा नजर आने लगा है.

खाद के बदले पराली अभि‍यान चलाया

पशुपालन विभाग के मुताबिक, इस साल प्रदेश में खाद के बदले पराली अभियान दिनांक 28 अक्टूबर, 2024 से 30 नवंबर, 2024 तक चलाया गया, जिसमें किसानों को गो-आश्रय स्थल से 155380.25 क्विंटल गोबर खाद दी गई. वहीं, किसानों ने 290208.16 क्विंटल पराली केंद्रों को दी. वहीं, यूपीनेडा ने जानकारी दी है कि उत्तर प्रदेश में 24 सीबीजी प्लांट्स चालू हैं और 106 सीबीजी प्लांट्स बन रहे हैं. 

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