हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि बेमौसम बारिश से फसलों को हुए नुकसान के आकलन के लिए विशेष गिरदावरी के निर्देश जारी किए गए हैं. किसानों से अपील है कि वो मेरी फसल-मेरा ब्यौरा (Meri Fasal Mera Byora) साइट के ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर पर 3 अप्रैल तक अपनी फसलों का रजिस्ट्रेशन करवाकर नुकसान की डिटेल दर्ज करवाएं. सरकार ने किसानों के हित में ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल को दोबारा खोल दिया है. जो किसान पहले फसलों का पंजीकरण नहीं करवा पाये थे, फसलों को हुए नुकसान वाले गांवों के किसानों के लिए यह पोर्टल दोबारा खोला गया है.
दलाल का दावा है कि सरकार ने पारदर्शी प्रणाली से क्षतिग्रस्त फसलों के लिए आकलन, सत्यापन और मुआवजे की व्यवस्था की है. कृषि मंत्री रोहतक जिले की महम विधानसभा क्षेत्र के खरकड़ा, मोखरा, मदीना, भराण, अजायब, बहलबा, बैंसी और निंदाना आदि गांवों में फसलों को हुए नुकसान (Crop Loss Compensation) का अधिकारियों की टीम के साथ जायजा ले रहे थे. कृषि मंत्री ने माना कि प्रदेश में हाल ही में हुई ओलावृष्टि एवं बेमौसम बारिश से फसलों को काफी नुकसान हुआ है.
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कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वो ओलावृष्टि एवं बेमौसम बारिश से फसलों को हुए नुकसान की पारदर्शी तरीके से गिरदावरी करें, ताकि सभी पीड़ित किसानों को फसल के नुकसान का मुआवजा प्राप्त हो सके. अधिकारी 31 मार्च तक गिरदावरी के कार्य को पूर्ण करें. सरकार द्वारा आगामी मई माह तक फसलों के हुए नुकसान का मुआवजा प्रदान कर दिया जाएगा. जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) में शामिल नहीं हैं उन्हें भी राज्य सरकार मुआवजा देगी. प्रति एकड़ 15000 रुपये तक का मुआवजा तय किया गया है.
दलाल ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करवाने वाले किसानों के लिए 72 घंटे में नुकसान का दावा करना जरूरी है. जबकि, फसलों का बीमा न करवाने वाले किसान अपनी फसलों को हुए नुकसान का विवरण ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करवाएं. सरकार द्वारा गेंहू की फसल के लिए 75 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने की स्थिति में 15 हजार रुपये तथा 50 से 75 प्रतिशत तक नुकसान की स्थिति में 12 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा निर्धारित किया गया है.
जो किसान पीएम फसल बीमा में शामिल नहीं हैं उन्हें अपनी फसलों के नुकसान का ब्यौरा ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर डालना होगा. यह अनिवार्य है. इसके अलावा, जो किसान खुद क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान का आकलन नहीं भर सकते वे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर यह काम करवा लें. कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान का ब्यौरा भरवाने का खर्च राज्य सरकार खुद वहन करेगी.
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