लीची के बाग में मधुमक्खी पालन कर दोहरा लाभ कमा सकेंगे किसान, यहां शुरू हुई फ्री ट्रेनिंग

लीची के बाग में मधुमक्खी पालन कर दोहरा लाभ कमा सकेंगे किसान, यहां शुरू हुई फ्री ट्रेनिंग

मुजफ्फरपुर में लीची में मंजर आना शुरू हो गया है है. किसान ट्रेनिंग लेने के बाद लीची बागान में मधुमक्खी बॉक्स लगा कर उसकी खुद से ही देखभाल कर शहद उत्पादन करेंगे. लीची का शहद बेहतर क्वालिटी और ऊंची कीमत के साथ डिमांड में भी अधिक रहता है. साथ ही मधुमक्खी पालन वाले बागों में लीची उत्पादन भी ज्यादा होता है.

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लीची के बाग में मधुमक्खी पालन कर दोहरा लाभ कमा सकेंगे किसान, यहां शुरू हुई फ्री ट्रेनिंगमधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग

मुजफ्फरपुर में लीची किसानों को लीची बाग में मधुमक्खी पालन कर शहद उत्पादन से दोहरा लाभ कमाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है. इस ट्रेनिंग के बाद लीची बाग में किसान लीची के साथ साथ मधुमक्खी पालन करेंगे. लीची के बाग में मधुमक्खी पालन करने से लीची की पैदावार बढ़ जाती है. साथ ही शहद तैयार होने से भी किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (राष्ट्रीय मधुमक्खी एवं शहद मिशन), नई दिल्ली और मुजफ्फरपुर के मुशहरी स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के द्वारा संयुक्त रूप से लीची किसानों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे किसान लीची के सीजन में शुरुआत से ही मधुमक्खी बॉक्स लगाकर मधुमक्खी पालन करेंगे. इसके बाद तीन महीने में ही लीची के शहद से दोगुनी आमदनी प्राप्त कर सकेंगे.

लीची में मंजर आना शुरू

मुजफ्फरपुर में लीची में मंजर आना शुरू हो गया है है. किसान ट्रेनिंग लेने के बाद लीची बागान में मधुमक्खी बॉक्स लगा कर उसकी खुद से ही देखभाल कर शहद उत्पादन करेंगे. लीची का शहद बेहतर क्वालिटी और ऊंची कीमत के साथ डिमांड में भी अधिक रहता है. साथ ही मधुमक्खी पालन वाले बागों में लीची उत्पादन भी ज्यादा होता है.

इसको लेकर मुजफ्फरपुर और आसपास की जिलों के लीची किसानों की 15 टीमों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इसमें ऑफलाइन और ऑनलाइन वैज्ञानिकों की टीम प्रशिक्षित कर रही है. इसको लेकर महिला किसानों में भी काफी उत्साह है. शाही लीची से तैयार शहद को बढ़ावा देने के लिए लीची उत्पादकों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. इसी ट्रेनिंग का असर है कि अब जिले में लीची बागानों में मधुमक्खी पालन का काम जोर पकड़ रहा है.

मुजफ्फरपुर की लीची की खास पहचान

दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाली मुजफ्फरपुर की लीची अपने उत्पादन के लिए पहले से ही काफी प्रसिद्ध है. उसी तरह यह जिला शाही लीची से तैयार शहद मामले में भी जल्द नंबर वन बनेगा. लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन से लीची शहद तैयार करते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य स्वादिष्ट और पौष्टिक शहद आहार के रूप में लोगों तक पहुंचाना है. 

अन्य शहद की तुलना में इस शहद में आपको लीची का स्वाद मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह शहद भी मधुमक्खियां ही तैयार करती हैं. इसके लिए यदि आप खुद की कंपनी खोलकर लीची शहद बनाना और व्यापार करना चाहते हैं तो लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों से आपको पूरा सहयोग मिलेगा. इसको लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में सात दिन की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. उसके बाद लाइसेंस भी दिया जाएगा.

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ तकनीकी सहायक बताते हैं कि लीची साल में एक बार होता है. ऐसे में किसान हताश होते हैं कि यह लीची का वृहद क्षेत्र माना जाता है लेकिन यहां साल में एक ही बार लीची होता है. यदि मौसम अनुकूल नहीं रहा तो नुकसान हो सकता है. बहुत सारी समस्याएं होती हैं. ऐसे में अगर लीची के साथ किसान लीची शहद का उत्पादन करें तो उस नुकसान से बच सकते हैं.

ट्रेनिंग दे रहे साइंटिस्ट डॉ. नीलेश ने बताया कि किसानों को मधुमक्खी पालन की सारी तकनीकें बताई जा रही हैं. इस ट्रेनिंग के बाद ये एक्सपर्ट तो नहीं होंगे लेकिन अपने बागों में मधुमक्खी पालन जरूर कर लेंगे. साथ ही धीरे-धीरे इसे एक व्यापार की तरह भी काम कर सकेंगे. साथ ही मधुमक्खी पालन करने वाले बागों में लीची उत्पादन भी बढ़ जाएगा. वही किसान इमरान अहमद और संदीप ने बताया कि इससे उन्हें दोहरा लाभ होगा. निश्चित रूप से अपने बागों में दस बॉक्स ही सही, लेकिन मधुमक्खी पालन जरूर करेंगे.

 

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