क्लाइमेट चेंज से घटे सेब उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस, 500 करोड़ के प्रोजेक्ट में किसानों को कई सुविधाएं मिलेंगी

क्लाइमेट चेंज से घटे सेब उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस, 500 करोड़ के प्रोजेक्ट में किसानों को कई सुविधाएं मिलेंगी

क्लाइमेट सेंट्रल की स्टडी के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर बागवानी फसलों पर जलवायु बदलाव का विपरीत असर दिख रहा है. सेब समेत कई बागवानी फसलों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है

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क्लाइमेट चेंज से घटे सेब उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस, 500 करोड़ के प्रोजेक्ट में किसानों को कई सुविधाएं मिलेंगीजिला स्तर पर आधुनिक कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं.

बीते कुछ वर्षों में बदलती जलवायु का असर पहाड़ी क्षेत्रों की फसलों पर ज्यादा देखने को मिला है. क्लाइमेट सेंट्रल की स्टडी के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर आड़ू, खुबानी, आलूबुखारा और अखरोट, सेब जैसे फलों के उत्पादन में कमी देखी गई है. उत्तराखंड के साथ हिमाचल में भी बागवानी फसलों पर बुरा असर देखा गया है. सेब की बागानों की सुरक्षा और उत्पादन बढ़ाने के लिए हिमाचल सरकार 500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट लेकर आ रही है. इसके तहत बागानों में सेब के पौधों का घनत्व बढ़ाने के साथ ही कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं किसानों को दी जाएंगी. 

क्लाइमेट सेंट्रल की स्टडी के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर बागवानी फसलों पर जलवायु बदलाव का विपरीत असर दिख रहा है. आड़ू, खुबानी, आलूबुखारा और अखरोट जैसे फलों के उत्पादन में सबसे अधिक कमी देखी गई है. सेब और नींबू के उत्पादन में भी गिरावट आ रही है. वर्ष 2016-17 में उत्तराखंड में 25,201.58 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब का उत्पादन किया जाता था जोकि वर्ष 2022-23 में घटकर 11,327.33 हेक्टेयर हो गया है. कमोबेश यही हाल हिमाचल में भी सेब की खेती का है. बीते कुछ सालों में हिमाचल में तेजी से सेब उत्पादन गिरा है.  

बागानों में सेब के पौधों को घनत्व बढ़ाया जाएगा 

हिमाचल प्रदेश सरकार सेब बागवानी के पुनरुद्धार के लिए 500 करोड़ रुपये का डेडीकेटेट प्रोजेक्ट लाने जा रही है. यह प्रोजेक्ट 5 वर्षों के लिए लागू किया जाएगा और इसमें किसानों की आय बढ़ाने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिक घनत्व वाले बागानों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. सेब के बागानों में पौधों की संख्या बढ़ाने पर जोर रहेगा. इससे उत्पादन को बढ़ाया जा सकेगा.

सेब स्टोरेज और मार्केटिंग और बेहतर होगी 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में वित्तीय वर्ष 2023-24 तथा 2024-25 के दौरान बागवानी विभाग की योजनाओं की समीक्षा में कहा कि बागवानी में विविधीकरण की जरूरत है. उन्होंने कहा कि किसानों और बागवानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए बेहतर स्टोरेज और मार्केटिंग सिस्टम विकसित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार जिला स्तर पर आधुनिक कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं स्थापित करने की योजना बना रही है, जो बागवानों को बहुत जरूरी मदद करेगी.

किसानों को दिए पॉवर टिलर और स्प्रेयर 

किसानों की आर्थिक मजबूती देने और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सरकार ऊना जिले में आलू प्रॉसेसिंग यूनिट बनाने पर काम कर रही है. उन्होंने विभाग को मंडी मध्यस्थता के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए, ताकि किसानों और बागवानों को अधिकतम लाभ मिल सके. बागवानी विकास योजना के तहत पावर टिलर तथा स्प्रेयर पर 12.84 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिससे 4,244 किसानों लाभ मिला है. 

यूनिवर्सल कार्टन सिस्टम से नुकसान घटा मुनाफा बढ़ा 

राज्य सरकार की सेब पैकेजिंग पहल यूनिवर्सल कार्टन सिस्टम कुछ महीने पहले शुरू किया गया था. इससे सेब की पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग के तरीके को बदल दिया है. इससे राज्य भर के सेब किसानों के लिए नुकसान कम हुआ है और मुनाफा बढ़ा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एंटी-हेल नेट योजना में पिछले साल 14.45 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जिससे 1,767 लोगों को लाभ मिला था. जबकि, इस वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक 10.3 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिससे 1,223 लोगों को लाभ मिला है. इसके अलावा 2023-24 में हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत 11 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया गया है जिससे 750 लोगों को लाभ मिला है.  

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