केंद्र सरकार प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना को लेकर काफी गंभीर है. आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्रालय अंतरिम बजट पेश करने जा रहा है. इस बजट में आयुष्मान भारत को 5 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट जारी किए जाने की संभावना है. वहीं, वित्त मंत्रालय 2024-25 के लिए योजना का बजट पिछली बार से दोगुना कर सकता है. बता दें कि बीते तीन वर्षों में हर बार योजना के लिए बजट बढ़ाया गया है.
केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभार्थी परिवारों को वर्तमान में 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करा रही है. लेकिन, बीते कुछ समय के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने आयुष्मान के तहत कवर की जाने वाली बीमारियों और सर्जरी की संख्या को बढ़ा दिया है, जिनमें अधिक लागत वाली बीमारी जैसे कैंसर या ऑर्गन ट्रांसप्लांट, डायलिसिस जैसी बीमारियों को भी कवर में ला दिया है.
गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सरकार 5 लाख रुपये की बीमा रकम बढ़ाकर 10 लाख करने जा रही है. इसके लिए वित्त मंत्रालय 1 फरवरी को आयुष्मान भारत योजना के लिए अतिरिक्त बजट जारी कर सकता है. आयुष्मान योजना के लिए वित्त वर्ष 2023 के लिए बजट 7,200 है. कहा जा रहा है कि योजना के लिए सरकार 5 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त जारी कर सकती है. इस हिसाब से 12,076 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रकम आवंटन की घोषणा होने की संभावना है.
वर्तमान में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयुष्मान के लिए आवंटित बजट 7,200 करोड़ रुपये है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस बजट को लगभग दोगुना यानी 15,000 करोड़ रुपये किए जाने की संभावना है. बीते वर्षों की बात करें तो 2022-23 में वित्तमंत्रालय ने 6,412 करोड़ रुपये बजट जारी किया था, जबकि उससे पहले 2021-22 के लिए करीब 3,199 करोड़ जारी किया था.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार देशभर में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी परिवारों की संख्या 12 करोड़ के पार पहुंच गई है. जबकि, 30 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं. जबकि, 2018 के बाद से अब तक 6.2 करोड़ से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती की सुविधा दी गई. इन लोगों पर 79,157 करोड़ रुपये से अधिक का इलाज का खर्च आया. यदि लाभार्थियों ने आयुष्मान भारत के दायरे से बाहर अपने दम पर समान उपचार का लाभ उठाया होता तो उपचार की कुल लागत लगभग 2 गुना से अधिक हो जाती. इस प्रकार आयुष्मान योजना के जरिए गरीबों और वंचित परिवारों के जेब खर्च से 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई.
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