हमारे देश में इन दिनों खरीफ फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. ज्यादातर इलाकों में खरीफ की बुवाई लगभग पूरी हो गई है. इस खबर में आपको फसलों का सही मैनेजमेंट बताने जा रहे हैं. अगर आपने दलहन फसलों की खेती की है तो कुछ जरूरी बातें जान लीजिए तभी फसलों को अच्छी तरह से तैयार कर पाएंगे. इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं दलहन फसलों की बुवाई के 15 दिन बाद कौन सा जरूरी काम करना चाहिए.
खेती करने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि फसलों को तैयार करना और उससे अच्छी उपज पाना बहुत ही चुनौती भरा काम होता है. बुवाई से कटाई तक समय-समय पर फसल की देखभाल करनी होती है. दलहन फसलें कम देखभाल वाली मानी जाती हैं फिर भी इनकी देखरेख में कमी के कारण फसल बर्बाद हो सकती है. आपको बता दें कि दलहन फसलों की बुवाई के 15 दिन बाद उनकी निराई करना सबसे जरूरी काम है, इसमें कोई कोताही ना बरतें.
निराई कितनी जरूरी है ये जानने से पहले जान लेते हैं कि निराई कहते किसे हैं. आपको बता दें कि फसलों के बीच उगे अनावश्यक घास-फूस और खरपतवार की सफाई को निराई कहा जाता है. लगातार खाद-पानी मिलने से खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं जिसके कारण फसलों को दबा देते हैं.
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दलहन फसलों की समय पर निराई नहीं की गई तो ये पौधों को दबा देंगे जिससे सूर्य का प्रकाश उन तक नहीं पहुंच पाता और उनकी ग्रोथ रुक जाती है. कई बार पौधे मर भी जाते हैं. इन तमाम समस्याओं से निपटने के लिए निराई करना बहुत जरूरी है.
घास या खरपतवार की निकाई के लिए छोटी वाली खुरपी का यूज करना चाहिए. निराई हमेशा एक सीध में करें और कोशिश करें एक दिन में एक खेत की निराई एक साथ करें. जब आप खेत से खरपतवार निकाल रहे हैं तो उसे जड़ से उखाड़ना बहुत जरूरी है ताकि वे पौधे दोबारा आसानी से ना उग पाएं. बुवाई के 15 दिन बाद निराई करें उसके बाद 30-45 दिन के बाद फिर से करें, इस तरह से फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.
निराई करने के साथ ही दलहन फसलों को अधिक पानी से बचाना भी जरूरी है. दलहन फसलें कम पानी में अच्छी तरह से तैयार होती हैं इसलिए इनकी बुवाई के बाद खेत की मेड़ काटना भी जरूरी है ताकि बरसात का पानी खेत में ना भरने पाए. अगर खेत में हल्का पानी है तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन जलजमाव से बचाकर रखना चाहिए.
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