खेतों में उर्वराशक्ति में कमी को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों से लेकर सरकार तक किसानों को अब प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दे रही है. बिहार सरकार भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इसी कड़ी में अब राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को जमीनी स्तर पर विस्तार देने के लिए कृषि सखियों की नियुक्ति करेगी. ये कृषि सखियां किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करेंगी और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की सहायता करेंगी. कृषि मंत्री सह उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि प्राकृतिक खेती के विस्तार का मूल उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना, जलवायु के प्रति लचीलापन करना, किसानों की लागत कम करना और उनकी आय में वृद्धि करना है.
कृषि मंत्री ने बताया कि प्राकृतिक खेती को जमीनी स्तर पर सशक्त करने के लिए हर क्लस्टर में दो कृषि सखियों की नियुक्ति की जाएगी. कुल 800 कृषि सखियों का चयन किया जाना है, जो हर महीने 16 दिन काम करेंगी. इन्हें 300 रुपये प्रतिदिन मानदेय और 200 रुपये प्रतिमाह यात्रा भत्ता दिया जाएगा. ये किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी, साथ ही रजिस्ट्रेशन, ट्रेनिंग और फसल चक्र के दौरान तकनीकी मार्गदर्शन जैसे कार्य करेंगी. इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए किसान मास्टर प्रशिक्षक, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों और प्राकृतिक खेती संस्थानों की मदद ली जाएगी. किसानों की कार्यक्षमता बढ़े इसके लिए उन्हें मोबाइल भी दिया जाएगा. इस मोबाइल डिवाइस के लिए सरकार की तरफ से राशि भी दी जाएगी.
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि प्राकृतिक खेती के प्रति जन-जागरूकता लाने के लिए चुने गए 400 क्लस्टर्स में से हर क्लस्टर में 7 कार्यक्रमों का आयोजन होगा. कुल मिलाकर 2,800 कार्यक्रम होंगे और क्लस्टर में 50 प्रतिभागी शामिल होंगे. इन कार्यक्रमों में किसान, पंचायत प्रतिनिधि, कृषि सखियां और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भाग लेंगी. इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन के रूप में विकसित करना है.
कृषि मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ हर साल सब्सिडी मुहैया कराई जाएगी. इसमें 300 रुपये प्रतिमाह जैविक इनपुट, पशुधन देखभाल आदि के लिए और 400 रुपये प्रति वर्ष ड्रम और बाकी संसाधनों की एकमुश्त सहायता के रूप में शामिल हैं .हालांकि, किसानों को अधिकतम एक एकड़ तक ही इस योजना का लाभ मिलेगा. रजिस्टर्ड 50,000 किसानों को प्राकृतिक खेती योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा.
कृषि मंत्री ने बताया कि बिहार सरकार का लक्ष्य लगभग 20,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती करना है. साथ ही, 266 भारतीय प्राकृतिक जैव-उपादान संसाधन केंद्र (बीबीसी) स्थापित किए जाएंगे, ताकि किसानों को उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. आगे उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती मृदा की उर्वरता, जैविक कार्बन, सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति और नमी बनाए रखने की क्षमता में सुधार करती है. इससे रसायनों की जरूरत खत्म हती है. इससे उत्पादन लागत घटती है और किसानों को वित्तीय राहत मिलती है.
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