आज आधुनिकता के दौर में खेती भी आधुनिक तरीके से की जा रही है. इसमें कृषि यंत्रों की सहभागिता सबसे अधिक है. इसको देखते हुए केंद्र से लेकर राज्य सरकार 80 से 90 प्रतिशत तक मशीनों पर अनुदान दे रही है. हालांकि कृषि यंत्रों पर मिलने वाली अनुदान की राशि के लिए एलपीसी (Land Possession Certificate) सहित अन्य तरह के कागजों की मांग होती है. इसकी वजह से कई किसान अनुदान का लाभ नहीं ले पाते हैं. लेकिन बिहार के किसानों के लिए प्रदेश सरकार ने कृषि यंत्रों पर मिलने वाली अनुदान राशि में कागजी प्रक्रिया में थोड़ी राहत दी है. सूबे के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा है कि अब 20,000 रुपये तक के अनुदान वाले कृषि यंत्रों पर तीन साल पुराने रसीद के आधार पर भी योजना का लाभ किसान ले सकते हैं. इसके बाद से किसानों में काफी खुशी देखने को मिल रही है.
बता दें कि अब राज्य के अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों को कृषि यंत्र पर समान अनुदान दिया जाएगा. हाल के समय में राज्य सरकार के द्वारा कृषि यंत्रों और उपकरणों पर अनुदान के लिए कुल 119 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई है. वहीं कुल 108 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही कृषि यंत्रीकरण योजना के लाभार्थियों का चयन ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से विभाग करने जा रहा है.
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कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य की कृषि और यहां के किसानों का विकास सरकार की प्राथमिकता है. इसके लिए आधुनिक कृषि में यंत्रों की भूमिका बेहद खास है. वहीं राज्य की सरकार हसुआ, खुरपी, कुदाल सहित अन्य छोटे-छोटे कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है. लेकिन यह प्रायः देखने को मिलता है कि कई किसान कृषि यंत्र पर मिलने वाले अनुदान का लाभ नहीं ले पाते हैं. उनके पास हाल के समय का एलपीसी या खेत का कागज नहीं होता है, जिससे वे छोटे से छोटे कृषि यंत्रों पर मिलने वाले अनुदान का लाभ नहीं ले पाते हैं. इस समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अब 20,000 रुपये तक के अनुदान वाले कृषि यंत्रों पर तीन साल पुराने रसीद के आधार पर भी योजना का लाभ ले सकते हैं. इसके लिए एलपीसी की जरूरत नहीं होगी. पुरानी एलपीसी भी किसानों को कृषि यंत्र पर मिलने वाले अनुदान का लाभ मिल सकता है.
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कृषि विभाग के द्वारा लिए गए निर्णय के बाद रोहतास जिले के किसान जीनोम सेवियर पुरस्कार से सम्मानित अर्जुन कुमार, कैमूर जिले के किसान अजय सिंह और सुनील कुमार कहते हैं कि यह फैसला सराहनीय है. सब्जी, बागवानी सहित अन्य खेती में छोटे कृषि यंत्रों की काफी जरूरत होती है. लेकिन कई ऐसे किसान हैं जिनकी जमीन का कागज उनके नाम नहीं है या कुछ कमी होने की वजह से अनुदान का लाभ नहीं ले पाते हैं. लेकिन अब एलपीसी की अनिवार्यता को खत्म करके कृषि मंत्री ने अच्छा काम किया है. किसानों का कहना है कि सरकार बड़े कृषि यंत्रों को लेकर भी कोई बेहतर विकल्प निकाले.
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