हाल ही में बीजेपी को हराकर कर्नाटक की सत्ता में आई कांग्रेस अब अन्न भाग्य गारंटी योजना के तहत चावल की बजाय लोगों को पैसे देगी. कांग्रेस सांसद और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि फिलहाल के लिए आज कर्नाटक सरकार एक ऐसी योजना शुरू कर रही है जिसके तहत राज्य के 4.42 करोड़ राशन कार्ड लाभार्थियों में से प्रत्येक व्यक्ति को हर महीने 170 रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे. यह पैसा उस राशि के बराबर है जो राज्य सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) को दिया होता, लेकिन उससे चावल नहीं मिला. कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा पर प्रतिशोध की राजनीति की है. इसमें बाधा डालने की कोशिश की, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें करारा जवाब दे दिया है. अतिरिक्त चावल खरीदने के प्रयास भी जारी हैं. इस योजना को लेकर सियासत शुरू हो गई है.
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की अन्न भाग्य गारंटी योजना के तहत गरीबी रेखा (BPL) से नीचे के सभी परिवारों को 10 किलो मुफ़्त चावल दिया जाना था. इसका मतलब है कि जितना मिल रहा है उसका दोगुना. अभी बीपीएल परिवारों को 5 किलो चावल मुफ्त में मिल रहा है. कांग्रेस ने कहा, 12 जून, 2023 को इसके लिए आवश्यक अतिरिक्त चावल की आपूर्ति करने पर एफसीआई ने सहमति जताई थी और राज्य सरकार 34 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से भुगतान करने को तैयार थी. लेकिन एक ही दिन बाद केंद्र सरकार ने इस मंजूरी को रद्द कर दिया. जबकि इथेनॉल उत्पादकों को 20 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से चावल बेचने की अनुमति एफसीआई को मिली है.
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जयराम रमेश ने एक ट्विट करके कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अपनी गारंटी को लागू करने के संकल्प से पीछे नहीं हटेगी. इसलिए पैसे दे रही है. हालांकि, सिर्फ 170 रुपये प्रति माह के रेट पर भुगतान होगा. जो 34 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सिर्फ 5 किलो चावल का दाम है. जबकि मार्केट में चावल का भाव 50 रुपये से ऊपर है. अगर राज्य सरकार ओपन मार्केट से चावल खरीदकर गरीबों में बांटती तो उसे कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ता. इसलिए उसने चावल के बदले पर पैसा देने का निर्णय लिया. हालांकि, कर्नाटक सरकार अगर किसानों से सीधे खरीदकर बांटती तो किसानों का भी भला होता.
मोदी सरकार ने कर्नाटक में ग़रीबों के लिए खाद्य सुरक्षा पर घटिया और प्रतिशोध की राजनीति की है। इसने @INCKarnataka की अन्न भाग्य गारंटी में बाधा डालने की कोशिश की। लेकिन आज से राज्य सरकार ने उन्हें करारा जवाब दिया है। अतिरिक्त चावल खरीदने के प्रयास भी जारी हैं।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 10, 2023
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कांग्रेस सांसद ने कहा कि कर्नाटक सरकार को एफसीआई से चावल खरीदने से रोकने के बाद केंद्र सरकार ने एफसीआई से निजी व्यापारियों को इस शर्त के साथ चावल की ई-नीलामी करने को कहा कि कर्नाटक उनसे चावल नहीं खरीद सकता. लेकिन यह ई-नीलामी बुरी तरह फ्लॉप हो गई. ई-नीलामी के लिए रखा गया 99.9 फीसदी से अधिक चावल बिना बिके रह गया. जयराम रमेश ने कहा कि चाहे कुछ हो, यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तुलना में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए निजी व्यापारियों पर अधिक भरोसा है.
जयराम रमेश ने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा आज से शुरू की गई कैश ट्रांसफर योजना गरीबों की खाद्य सुरक्षा के मामले में केंद्र सरकार की प्रतिशोध से भरी नीतियों का करारा जवाब है. विशेष रूप से उस राज्य में जहां भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया गया था. ये नीतियां सहयोगात्मक संघवाद के लिए सही नहीं है. यह रवैया सहयोगात्मक संघवाद की बजाय टकरावपूर्ण संघवाद के सबसे खराब रूप को दर्शाता है. केंद्र सरकार ने राज्य को ओपन मार्केट सेल स्कीम-डोमेस्टिक (ओएमएसएस-डी) के तहत चावल देना बंद कर दिया है.
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