केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को सभी राज्य सरकारों से अपील की कि वे ऑयल पाम मिशन के तहत अपने प्रयासों को तेज करें ताकि देश में तिलहन मिशन को बढ़ावा मिल सके. ऑयल पाम मिशन का पूरा नाम नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम (NMEO-OP) है. इस मिशन के जरिये केंद्र सरकार देश में तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है ताकि खाद्य तेलों के आयात को कम किया जा सके.
घरेलू तेल पाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए इस मिशन का लक्ष्य 2025-26 तक 6.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को तेल पाम के बागानों के अंतर्गत लाना है. पूर्वोत्तर क्षेत्र और अन्य तेल पाम उगाने वाले राज्यों की कृषि-जलवायु क्षमता का लाभ उठाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. कुछ क्षेत्रों में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जबकि अन्य को अपने प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है. बांटे गए फंड का कम उपयोग और पाम वृक्षारोपण लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों को बाधाओं को दूर करके और उपलब्ध संसाधनों को जुटाकर अपने वृक्षारोपण लक्ष्यों को हासिल करने को प्राथमिकता देनी चाहिए. एनएमईओ-ओपी के तहत पर्याप्त फंड के साथ, राज्यों को बुनियादी ढांचे के विकास, किसान समर्थन और वृक्षारोपण विस्तार के लिए संसाधन उपयोग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्यों को किसानों की भागीदारी को भी बढ़ाना चाहिए, गलत सूचना जैसी चुनौतियों से निपटना चाहिए और किसानों की संतुष्टि और निरंतर भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सहायता के वितरण में तेजी लानी चाहिए.
पारदर्शिता और दक्षता में सुधार के लिए सरकार ने जियो-मैपिंग और ड्रोन निगरानी के माध्यम से डिजिटल निगरानी जैसी पहल शुरू की है. मंत्री ने राज्यों से इन उपायों में पूर्ण सहयोग करने का आग्रह किया. इसके अलावा, किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाने के लिए व्यवहार्यता मूल्य (वीपी) तंत्र शुरू किया गया है. किसानों को यह लाभ पहुंचाने के लिए राज्यों को समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर समय पर हस्ताक्षर सुनिश्चित करने चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एकजुट प्रयास के महत्व को दोहराया. उन्होंने कहा कि मिशन के लक्ष्यों को साकार करने में केंद्र और राज्य सरकारों, कार्यान्वयन एजेंसियों और किसानों के बीच एक मजबूत साझेदारी महत्वपूर्ण होगी.
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