देशभर में पशुपालन और दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके लिए कृत्रिम गर्भाधान और नस्ल सुधार कार्यक्रमों के जरिए किसानों को उन्नत पशु नस्ल उपलब्ध कराने का किया जा रहा है, जिससे किसानों और पशुपालकाें की आय में इजाफा हो. एक ऐसी ही कहानी छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले से सामने आई है, जहां एक गाय से मुश्किल से परिवार लायक दूध हासिल करने वाली पशुपालक की सरकारी योजना से जिंदगी बदल गई है.
जिले के बगीचा विकासखण्ड के किसान सुखसागर यादव की कहानी इस बात का उदहारण है कि कैसे सरकारी मदद, जीवन काे पूरी तरह बदल सकती है. दरअसल, पशुधन विकास विभाग जिले के गौपालकों को विभिन्न योजनाओं के तहत मदद दे रहा है, जिससे किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और कृषि आधारित व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं.
सुखसागर यादव को राज्य पोषित डेयरी उद्यमिता विकास योजना और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के तहत नस्ल सुधार योजना का लाभ मिला. योजना के तहत उन्हें 70 हजार रुपये की सब्सिडी मिली. इससे पहले उनके पास केवल एक देसी गाय थी, जो प्रतिदिन लगभग 1 लीटर दूध देती थी और उसका उपयोग केवल घर की जरूरतों के लिए होता था.
योजना का लाभ लेने के बाद सुखसागर यादव ने एक उन्नत नस्ल की जर्सी गाय और एक साहिवाल क्रॉस गाय खरीदी. अब उनके पशुओं से प्रतिदिन 16-18 लीटर दूध उत्पादन हो रहा है. दूध के विक्रय से उन्हें हर महीने 25,000 से 30,000 रुपये की आय हो रही है. राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की मदद से उनकी गायों से उन्नत नस्ल की बछिया और बछड़ा भी पैदा हुए हैं.
पशुधन विकास विभाग किसानों के पशुओं की निरंतर देखभाल करता है. विभाग समय-समय पर गायों का स्वास्थ्य परीक्षण करता है और जरूरत के अननुसार कृमिनाशक दवाइयां और मिनरल मिक्सचर उपलब्ध कराता है. साथ ही पशुपालकों/किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जाता है, जिससे अपने डेयरी व्यवसाय को और ज्यादा सफल बना सकते हैं.
राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम से जशपुरनगर के सुखसागर यादव की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. वे आज एक सफल डेयरी व्यवसायी के रूप में पहचान बना रहे हैं. राज्य में अब पशुपालन सिर्फ सहायक गतिविधि के तौर पर नहीं, बल्कि आय का स्थायी जरिया बनता जा रहा है.
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