
राजस्थान को आमतौर पर सूखा और रेगिस्तानी राज्य माना जाता है, लेकिन अब यहां के किसान परंपरागत फसलों के साथ-साथ फूलों की खेती से भी अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह है राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही फ्लोरीकल्चर सब्सिडी योजना, जिसके तहत किसानों को गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, ग्लैडियोलस और अन्य फूलों की खेती के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है. गुलाब से लेकर गेंदा तक फूलों की खेती पर मिलने वाली यह सब्सिडी योजना राजस्थान के किसानों के लिए आय बढ़ाने का शानदार मौका बन सकती है.
राजस्थान सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती को विविध बनाने के लिए बागवानी और फूलों की खेती को लगातार प्रोत्साहित कर रही है. फूलों की मांग पूजा-पाठ, शादी-समारोह, सजावट और दवा उद्योग तक फैली हुई है. कम समय में तैयार होने वाली यह फसल किसानों को जल्दी नकद आमदनी देने में मदद करती है. इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने फूलों की खेती को सब्सिडी योजनाओं में शामिल किया है.
राजस्थान की इस योजना के तहत कई प्रकार के फूलों की खेती पर सहायता दी जाती है. इसमें मुख्य रूप से गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, चमेली, लिली और ग्लैडियोलस जैसे फूल शामिल हैं. इन फूलों की खेती कम क्षेत्र में भी की जा सकती है और इनकी बाजार में मांग पूरे साल बनी रहती है. राजस्थान जैसे राज्य में जहां पानी और मौसम बड़ी चुनौती हैं, वहां फूलों की खेती किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बनकर उभर रही है. सरकार की सब्सिडी योजना लागत को काफी हद तक कम कर देती है और किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
राज्य सरकार फूलों की खेती के लिए पौध सामग्री, नर्सरी विकास, ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और संरक्षित खेती जैसे पॉलीहाउस या शेडनेट पर सब्सिडी देती है. सामान्य किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के किसानों को 60 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है. सब्सिडी की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजी जाती है. इस योजना का लाभ राजस्थान का कोई भी पात्र किसान ले सकता है. किसान के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए और उसका जन आधार व बैंक खाता योजना से जुड़ा होना जरूरी है. साथ ही किसान को राज्य के बागवानी विभाग में पंजीकरण कराना होता है.
फूलों की खेती पर सब्सिडी पाने के लिए किसान राजस्थान सरकार के राज किसान साथी पोर्टल या नजदीकी कृषि व बागवानी विभाग कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं. आवेदन के समय भूमि से जुड़े दस्तावेज, आधार कार्ड, बैंक पासबुक और जन आधार कार्ड की आवश्यकता होती है. सत्यापन के बाद किसान को योजना का लाभ दिया जाता है.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today