महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)महाराष्ट्र सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष “प्राकृतिक खेती मिशन” गठित करेगी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को बताया कि इस मिशन की अगुवाई राज्यपाल आचार्य देवव्रत करेंगे, जो इस क्षेत्र के विशेषज्ञ माने जाते हैं. राजभवन में आयोजित प्राकृतिक खेती पर सम्मेलन में राज्यपाल देवव्रत ने मंत्रियों और विधायकों को संबोधित करते हुए जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के बीच के अंतर को स्पष्ट किया.
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती ही स्थायी समाधान है और राज्य के सभी जनप्रतिनिधियों को इसे मिशन मोड में आगे बढ़ाना चाहिए. कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे, मंत्रीगण, विधायक तथा मुख्य सचिव राजेश कुमार भी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह मिशन किसानों के हित में काम करेगा और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा. उन्होंने यह भी बताया कि कपास और सोयाबीन की सरकारी खरीद 30 अक्टूबर से शुरू होगी. साथ ही किसानों से अपील की कि वे अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दर पर व्यापारियों को न बेचें.
इससे पहले, गुरुवार को कांग्रेस ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अब तक 6,000 रुपये प्रति क्विंटल क्यों नहीं हुआ? पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा किसानों को इंसान नहीं बल्कि वोटबैंक के रूप में देखती है.
राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि 2013 में जब देवेंद्र फडणवीस विपक्ष में थे, तब उन्होंने 6,000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की मांग को लेकर किसानों का मोर्चा निकाला था. उन्होंने कहा, “अब 12 साल बीत गए और मोदी सरकार को सत्ता में आए 11 साल हो गए, लेकिन कीमत अब भी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल ही है.”
सावंत ने बताया कि फिलहाल किसान खुले बाजार में करीब 3,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर सोयाबीन बेच रहे हैं, जिससे उन्हें 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल का सीधा नुकसान हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एमएसपी खरीद केंद्र अब तक शुरू नहीं हुए हैं और सरकार जानबूझकर देरी कर रही है. इस बार खरीद केंद्रों की जिम्मेदारी दो एजेंसियों में बांटने से प्रशासनिक भ्रम और बढ़ गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अतिवृष्टि से मूंग और उड़द की फसलें बर्बाद हो गईं, जबकि सोयाबीन उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. सरकार ने दिवाली से पहले राहत देने का वादा किया था, लेकिन किसान त्योहार अंधेरे में मनाने को मजबूर हुए. सावंत ने कहा, “फसल खराब होने के बावजूद दाम बढ़ने के बजाय घट रहे हैं. भाजपा के लिए अब सत्ता और चुनाव ही सब कुछ हैं, किसानों के प्रति संवेदना खत्म हो चुकी है.
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