HFSY: कपास किसानों को राहत देने के लिए शुरू हुई हरियाणा फसल सुरक्षा योजना, पढ़ें पूरी डिटेल

HFSY: कपास किसानों को राहत देने के लिए शुरू हुई हरियाणा फसल सुरक्षा योजना, पढ़ें पूरी डिटेल

विभाग ने किसानों को एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और फसल पर शुल्क के तौर पर 1500 रुपए का भुगतान करने के लिए कहा है. इसके बाद सरकार की तरफ से किसानों को फसल कटाई प्रयोग के आधार पर किसानों को प्रति एकड़ अधिकतम 30,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

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HFSY: कपास किसानों को राहत देने के लिए शुरू हुई हरियाणा फसल सुरक्षा योजना, पढ़ें पूरी डिटेलहरियाणा फसल सुरक्षा योजना सांकेतिक तस्वीर

हरियाणा में कपास के खेती में भारी आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे  किसानों के लिए राज्य सरकार की तरफ से एक अच्छी खबर आ रही है. किसानों को हुए नुकसान की भारपाई करने के लिए राज्य सराकर फसल बीमा योजना लेकर आयी है. दरअसल इस साल खरीफ सीजन में राज्य के सात जिलों में खरीफ की खेती को पिंक बॉलवॉर्म के  कारण काफी नुकसान हुआ था. इसकी भारपाई करने के लिए एक फसल बीमा कंपनी ने किसानों का फसल का इंश्योरेंस कवर देने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करने से इनकार कर दिया. इसके बाद कृषि विभाग ने कपास किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए हरियाणा फसल सुरक्षा योजना की शुरुआत की है. 

राज्य के कलस्टर 2 जिले हिसार, जींद, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, महेंद्रगढ़ और सोनिपत के कपास किसानों के लिए 22 सिंतबर से हरियाणा फसल सुरक्षा योजना (एचएफएसवाई) को अधिसूचित किया गया है. अधिसूचना के अनुसार विभाग ने किसानों को एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और फसल पर शुल्क के तौर पर 1500 रुपए का भुगतान करने के लिए कहा है. इसके बाद सरकार की तरफ से किसानों को फसल कटाई प्रयोग के आधार पर किसानों को प्रति एकड़ अधिकतम 30,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

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सिर्फ एक जिले में यह है नुकसान का आंकड़ा 

द ट्रिब्यून की खबर की खबर के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि हिसार जिले में पिंक बॉलवॉर्म के प्रकोप के कारण लगभग 1.4 लाख हेक्टेयर में लगी कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ है. हिसार जिला कलस्टर टू का हिस्सा है और इसलिए यहां के किसान फसल बीमा नहीं करा सकते थे क्योंकी बीमा कंपनी में कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण पीएमएफफबीवाई करे तहत फसलों का बीमा करने से इनकार कर दिया था. वहीं किसानों का कहना है कि योजना के कार्यानव्यन को लेकर वो भ्रमित स्थिति में थे, कयोंकि सरकार की तरफ से उन्हें किसी प्रकार के दिशानिर्देश नहीं दिए गए थे. 

बिना स्पष्ट दिशानिर्देश के 1500 का भुगतान करने का आदेश

इस मामले के बारे में बात करते हुए हिसार जिले के गोरची गांव के किसान अनिल सिंह ने बताया कि उन्होंने जुलाई के महीने में ही 1900 रुपये प्रति एकड़ की दर से आठ एकड़ में लगी कपास की फसल का बीमा कराया था और प्रीमियम का भुगतान किया था. पर उन्हें ना तो प्रीमियम वापस किया गया और ना ही फसल बीमा का लाभ मिला. अब इसके बाद फिर से सरकार 1,500 रुपये का भगतान करने के लिए कह रही है, जबकि इसके लिए कोई स्पष्ट दिशिनिर्देश जारी नहीं किया है. अनिल सिंह ने कहा कि उन्होंने एक कृषि विभाग के एक अधिकारी से भी बात की पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

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सिर्फ कपास किसानों को ही मिल रही राहत 

किसान संघर्ष समिति के एक कार्यकर्ता ने कहा कि क्लस्टर 2 जिलों में कुछ क्षेत्रों में कम बारिश और कुछ क्षेत्रों में बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ है.लेकिन इस योजना के में कपास के अलावा अन्य फसलों का जिक्र नहीं किया गया है. एचएफएसवाई ने अपने पूर्वालोकन में खरीफ फसलों में कपास के अलावा अन्य फसलों को बाहर कर दियाहै. जबकि धान, मूंग और बाजरा के किसानों को भी मौसम की बेरुखी के कारण काफी नुकसान हुआ है. लेकिन इस योजना में अन्य फसलों को शामिल नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि कपास के अलावा अन्य उत्पादक किसानों को किसी प्रकार की राहत नहीं मिलेगी. 

 

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