हरियाणा डेयरी फेडरेशन (वीटा डेयरी) बहुत जल्द दुग्ध उत्पादकों और डेयरी चलाने वालों को खुशखबरी दे सकती है. फेडरेशन ने दुग्ध उत्पादकों से गोबर भी खरीदने का प्लान बनाया है. इस गोबर से तीन तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे, जिससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, आवश्यकता से अधिक केमिकल के इस्तेमाल से जिन खेतों पर खतरा मंडरा रहा है, उनको भी जीवनदान मिलेगा. बताया जा रहा है कि शुरुआत में फेडरेशन ने रोजाना करीब 40 टन गोबर खरीदने का लक्ष्य रखा है. इस गोबर का उपयोग मुख्य तौर पर बायो डीएपी बनाने में किया जाएगा.
इसके अलावा गोबर से सीएनजी और तरल गोबर खाद भी बनाई जाएगी. इसके लिए फेडरेशन ने नारनौल में प्लांट लगाने की तैयारी की है. वीटा डेयरी के सीईओ चरण सिंह के मुताबिक जल्द ही प्लांट बनाने का काम शुरू हो जाएगा. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही नारनौल प्रशासन जमीन की प्रक्रिया पूरी कर फेडरेशन को फाइल सौंप देगा.
इस प्लांट के लगने के बाद जिन किसानों से हरियाणा डेयरी फेडरेशन रोजाना खरीदती है, उनसे गोबर भी खरीदना शुरू कर देगी. जो डेयरियां फेडरेशन को दूध नहीं बेचती हैं, उनसे भी गोबर खरीदा जाएगा. दूध की तरह से गोबर का भुगतान किया जाएगा. अभी गोबर का रेट तय नहीं किया गया है. लेकिन जानकारों की मानें तो यह डेढ़ रुपये से लेकर दो रुपये किलो के बीच हो सकता है.
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सीईओ चरण सिंह ने बताया कि जिस तरह से बनासकांठा में पहले से प्लांट लगा हुआ है, उसी तरह से नारनौल में प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है. फेडरेशन की एक टीम जिसमे वो खुद भी शामिल हैं, बनासकांठा के प्लांट का दौरा कर चुकी है. प्लांट की समीक्षा करने के बाद नारनौल में उसी क्षमता का प्लांट लगाने का फैसला किया गया है. इस प्लांट के लिए किसानों से रोजाना 40 टन गोबर खरीदेंगे.
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स्कीम के मुताबिक किसानों से खरीदे गए गोबर से बनी बॉयो डीएपी का लाभ भी उन्हीं किसानों को दिया जाएगा, जिनसे फेडरेशन गोबर खरीदेगा. सही मायनों में गोबर बेचने के दौरान ही डीएपी की बुकिंग हो जाएगी. बाजार में बॉयो डीएपी का रेट 50 रुपये किलो है जबकि बनासकांठा प्लांट 25 रुपये किलो बेच रहा है.
सीईओ चरण सिंह ने बताया कि 40 टन गोबर की क्षमता वाला प्लांट शुरू होने के बाद बॉयो डीएपी तो बनेगी ही, साथ में सीएनजी भी बनेगी. इस क्षमता के प्लांट से रोज 800 किलो सीएनजी बन सकती है. नारनौल में ही किसी पम्प स्टेशन से इस सीएनजी को बेचा जाएगा. इतना ही नहीं हर रोज चार से पांच हजार तरल गोबर भी खेतों में छिड़काव के लिए बेचा जाएगा. तरल गोबर के छिड़काव से खेतों की उर्वरता बढ़ती है.
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