पंजाब में खेत का दौरा करते हुए केंद्रीय मंत्री चौहानपंजाब में सत्ता में वापसी की आस लगाए बैठी बीजेपी ने अब एक बार फिर राज्य में अपना संगठन सक्रिय कर दिया है और लगातार राज्य की आम आदमी पार्टी पर हमलावर है. अब केंद्र सरकार का पंजाब में मनरेगा की जांच को लेकर उठाया गया कदम इस लिहाज से अहम माना जा रहा है, क्योंकि अब तक अन्य किसी राज्य में ऐसी कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है. केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कहा कि मनरेगा गरीबों और ग्रामीण मजदूरों की आजीविका से सीधे जुड़ी योजना है, इसलिए इसमें एक रुपये की भी हेराफेरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जहां भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
चौहान ने आज पंजाब प्रवास के दौरान जालंधर में एक बैठक में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा की. इसके बाद यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में शिवराज सिंह ने कहा कि पंजाब में मनरेगा में गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं, जिनकी जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक दल भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य के विकास में केंद्र सरकार पूरी तरह से साथ है और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित केंद्र की सभी योजनाओं का त्वरित लाभ पंजाब को दिया जा रहा है.
शिवराज सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के समग्र विकास के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित केंद्र की सभी योजनाओं का त्वरित लाभ पंजाब को दिया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि सामान्यतः मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है, लेकिन पंजाब में बाढ़ के कारण फसलें खराब होने और खेतों में काम के अवसर घटने की आशंका को देखते हुए यहां विशेष व्यवस्था की गई है.
उन्होंने कहा कि पंजाब के लिए मनरेगा में रोजगार के दिन बढ़ाकर 150 दिन किए जाने के आदेश जारी किए गए हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर मजदूरों को अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र की इस पहल को स्वीकार किया है और अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जरूरतमंद मजदूरों को अधिक दिनों का रोजगार समय पर मिले. उन्होंने जोर देकर कहा कि ग्रामीण परिवारों को कठिन समय में आर्थिक सुरक्षा देना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है.
मालूम हो कि पंजाब में अब 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं और सभी राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है. ऐसे में पीएम मोदी से लेकर एनडीए के केंद्रीय मंत्री और राज्य के चर्चित बीजेपी नेता सूबे पर फोकस करते दिख रहे हैं. इसमें भी खासकर किसानाें को साधने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि मुख्य रूप से किसानों और मजदूरों की नाराजगी के कारण ही बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पा रही है. इस बीच, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का पंजाब में मनरेगा जांच का ऐलान एक बड़े फैक्टर के तौर पर देखा जा रहा है.
बता दें कि बीजेपी लगातार राज्य सरकार पर काम न करने और भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगाती रही है. ऐसे में मनरेगा जैसी बड़ी योजना में गड़बड़ी की शिकायत बीजेपी के लिए ‘हथियार’ के तौर पर काम कर सकती है. अगर जांच में आरोप सही पाए गए तो बीजेपी को 2027 के आगामी विधानसभा चुनाव में ‘मान सरकार’ पर हमला बोलने का एक बड़ा मौका मिल जाएगा. वहीं, आम आदमी पार्टी सरकार भी कई मौकों पर विपक्षी बीजेपी को घेरती रही है.
हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी भी लगातार अपने राज्य की योजनाओं का बखान करते हुए यह कहते पाए गए हैं कि पंजाब में बीजेपी की सरकार बनने पर उन्हें भी इस तरह के लाभ मिलेंगे. जिसपर कई बार 'आप' ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. ऐसी ही एक प्रतिस्पर्धा हाल ही में गन्ने के दामाें को लेकर देखी जा रही है. दरअसल, हरियाणा किसानों को गन्ने पर 415 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलता है, लेकिन अब पंजाब सरकार ने भी गन्ने का दाम बढ़ाया है और इससे हरियाणा के मुकाबले 1 रुपये ज्यादा रखा है.
दोनों राज्यों में पानी के बंटवारे का मुद्दा भी काफी बड़ा है, जो रह-रहकर उभरकर सामने आता रहा है. मान सरकार केंद्र पर भी पानी के बंटवारे को लेकर भेदभाव का आरोप लगाती रही है और उन्होंने इसे बीजेपी को ‘पंजाब के किसानों के विरोधी’ के रूप में दर्शाने की कोशिश की है. हालांकि, अब मनरेगा की जांच को लेकर मान सरकार की प्रतिक्रिया बाकी है. इसके अलावा, राज्य में पराली जलाए जाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के आरोपों पर जहां बीजेपी आप सरकार को कसूरवार बताती है तो वहीं, पंजाब की आप सरकार इसे पंजाब के किसानों पर झूठे आरोप मढ़कर उसे 'किसान विरोधी' कहती है.
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