केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहानकेंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज पंजाब के मोगा जिले के रणसिंह कलां गांव में किसानों और ग्रामीणों के साथ खेतों में जाकर उनसे बातचीत की. उन्होंने गांव में छह वर्षों से पराली न जलाने और फसल अवशेष प्रबंधन के वैज्ञानिक तौर-तरीकों को अपनाने पर पंचायत और किसानों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरक उदाहरण बन चुका है. दिल्ली और उत्तर भारत में लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच पराली जलाने का मुद्दा गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे समय में रणसिंह कलां गांव का पराली न जलाने का प्रयास सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंजाब ने पराली प्रबंधन का ऐसा मॉडल विकसित किया है, जिसे देश के हर राज्य में ले जाया जाएगा, ताकि किसानों को खेती के पर्यावरण-संवेदनशील विकल्प मिलें. शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं से न सिर्फ मित्र कीट नष्ट होते हैं, बल्कि गंभीर वायु प्रदूषण भी पैदा होता है.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष पंजाब में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है. उन्होंने रणसिंह कलां गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि वैज्ञानिक तरीकों से बिना आग लगाए खेत की सफाई और अगली फसल की तैयारी पूरी तरह संभव है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गांव के किसान छह वर्षों से डायरेक्ट सीडिंग, हैप्पी सीडर और फसल अवशेषों को खेत में मिलाने जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं. इससे मिट्टी का कार्बन स्तर बढ़ा है, जैविक पदार्थों में वृद्धि हुई है और रासायनिक खादों की खपत में कमी आई है.
उन्होंने कहा कि पराली की मल्चिंग ने खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी की नमी संरक्षण और मित्र जीवों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चौहान ने खेत का निरीक्षण करते हुए किसान गोपाल सिंह के साथ सीधी बिजाई वाले गेहूं की फसल का अवलोकन किया.
उन्होंने किसानों को बताया कि फसल की शुरुआती अवस्था में क्राउन रूट बनने तक अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने कहा कि एक माह तक बिना पलेवा के भी फसल स्वस्थ खड़ी है, जिससे पानी और डीजल की बड़ी बचत संभव हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि अब किसानों को पहले जितनी मात्रा में डीएपी और यूरिया डालने की जरूरत नहीं पड़ रही है.
संवाद के दौरान मंत्री ने समझाया कि पराली को खेत में मिलने से प्राकृतिक मल्चिंग होती है, जिससे मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है और खरपतवार कम उगते हैं. इससे किसानों की लागत में कमी आती है और पैदावार की स्थिरता बढ़ती है. उन्होंने कहा कि पंजाब का यह प्रयोग साबित करता है कि पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लक्ष्य साथ-साथ पूरे हो सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री ने किसानों को तिलहन फसलों को अपनाने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सरसों जैसी फसलें न केवल अतिरिक्त आय देंगी, बल्कि देश को खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता से भी मुक्त कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर खेती के एक हिस्से में तिलहन बढ़ाए जाएं तो राष्ट्रीय जरूरतों को घरेलू उत्पादन से पूरा किया जा सकता है. उन्होंने इसे किसानों द्वारा की जा रही “देश सेवा” बताया.
इस दौरान उन्होंने दलहन फसलों पर भी बड़ा ऐलान किया. चौहान ने कहा कि तुअर, उड़द, मसूर और चना जैसी फसलों की खेती करने वाले किसानों की पूरी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी. उन्होंने कहा कि किसानों की यह अपेक्षा पूरी तरह वाजिब है कि यदि उचित दाम मिलें तो वे उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने बताया कि एमएसपी पर खरीद की इस गारंटी का लाभ किसानों को रजिस्ट्रेशन कराने के बाद मिलेगा.
मंत्री ने रणसिंह कलां गांव की पंचायत की भी सराहना की, जिसने पराली न जलाने, नशामुक्ति, फसल विविधिकरण और सामुदायिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में नए मानक स्थापित किए हैं. उन्होंने कहा कि पंचायत द्वारा पानी बचाने वाली फसलों को बढ़ावा देना और सामूहिक निर्णयों को लागू करना इस गांव को सच्चे अर्थों में मॉडल गांव बनाता है. उन्होंने ग्रामीणों के आतिथ्य का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यहां की देसी मक्के की रोटी पंजाब की संस्कृति और स्नेह का प्रतीक है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वास्तविक विकास किसानों से सीधे संवाद और फील्ड में जाकर उनकी समस्याओं को समझने से होता है. उन्होंने आश्वस्त किया कि किसानों के सुझावों और रणसिंह कलां जैसे गांवों के फीडबैक के आधार पर केंद्र सरकार कृषि और ग्रामीण विकास की नीतियों को और प्रभावी, स्थानीय जरूरतों के अनुकूल और पर्यावरण हितैषी बनाने के लिए ठोस कदम उठाती रहेगी. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य खेती को लाभकारी बनाना और गांवों को मजबूत करना है.
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