महाराष्ट्र में शक्तिपीठ एक्सप्रेस-वे का मामला दिन पर दिन गर्माता जा रहा है. कोल्हापुर जिले के 59 गांवों के किसानों ने सोमवार को जिला कलेक्टर के ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया. इन किसानों ने मांग की है कि नागपुर-गोवा शक्तिपीठ हाइवे को कैंसिल कर दिया जाए. प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार को इसे कैंसिल करने का अल्टीमेटम तक दे डाला है. शक्तिपीठ एक्सप्रेस-वे का मसला पिछले काफी समय से गर्म है और विधानसभा चुनावों से पहले इसे एक बार फिर से बल मिल गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार शक्तिपीठ विरोधी क्रति समिति ने राज्य की एकनाथ शिंद की सरकार को आठ दिनों का समय दिया है. किसानों ने कहा है कि अगर आठ दिनों के अंदर इस एक्सप्रेव प्रोजेक्ट को कैंसिल नहीं किया तो फिर 20 अगस्त से कोल्हापुर में एक आक्रामक विरोध प्रदर्शन की शुरुआत होगी. किसानों ने सरकार से कहा है कि उन्हें इस बात का लिखित में भरोसा दिया जाए. प्रदर्शनकारी किसानों ने जिला कलेक्टर अमोल येदगे को मांग का एक ब्यौरा सौंपा है. सांसद शाहू छत्रपति ने इस पर कहा, 'सरकार को किसानों का अंत नहीं देखना चाहिए. किसी ने भी इस हाइवे की मांग नहीं की थी.
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जमीन अधिग्रहण की अधिग्रहण की प्रक्रिया को मौखिक तौर पर स्थगित करके और किसानों को अंधेरे में रखकर आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए था. सरकार को इसे कैंसिल करने के लिखित आदेश जारी करने चाहिए. वहीं विधायक रुतुराज पाटिल ने कहा, 'सरकार इस पर किसानों और विपक्षी दलों के साथ चर्चा के लिए तैयार थी लेकिन उलटे उन्होंने पर्यावरण विभाग को इसकी मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव भेज दिया.' शक्तिपीठ हाइवे विरोधी क्रति समिति के को-ऑर्डिनेटर गिरीश पांडे ने कहा, 'लड़की बहन, लड़की बहू और कई योजनाओं को जारी किया जा रहा है लेकिन सरकार क्या किसानों से प्यार नहीं करती है? वह कब उनके बेटों के बारे में सोचेगी.'
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उन्होंने कहा कि अगर इस हाइवे को कैंसिल नहीं किया गया तो फिर आने वाले विधानसभा चुनावों में सरकार की सूरत को बदल दिया जाएगा. पांडे ने इस हाइवे को ठेकेदारों को फायदा देने वाला बताया है. रविवार को शक्तिपीठ हाईवे विरोधी कृति समिति के सदस्यों ने कोल्हापुर में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से मुलाकात की और हाईवे को रद्द करने की मांग की, जिसके लिए करीब 27,000 एकड़ उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण करना पड़ सकता है.
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