किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के नाम एक पत्र लिखा है. इस पत्र में 5 मांग लिखी गई है. किसान संगठन ने राष्ट्रपति से मांग की है कि इन मांगों को सरकार से मनवाने में वे मदद करें. जो पांच मांगें उठाई गई हैं, उनमें सान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने, दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर कार्रवाई बंद करने, नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी किसानों को लुक्सर जेल से रिहा करने, राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति वापस लेने और आंदोलन कर रहे सभी किसान संगठनों से तत्काल चर्चा करने की मांग शामिल हैं.
एसकेएम ने पत्र में लिखा है, हम भारत के किसान आज, 23 दिसंबर 2024 को देश भर के जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हम एनडीए 3 के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन न करने का कड़ा विरोध करते हैं और उन सभी किसान संगठनों और मंचों से, जो वास्तविक मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं के साथ वार्ता करने की मांग करते हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से किसानों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए कहा है.
हम आपसे दृढ़तापूर्वक मांग करते हैं कि आप केंद्र सरकार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने, दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर दमन और आंसू गैस के गोले दागने को रोकने, गत दिनों से गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद सभी किसानों को रिहा करने, उन पर हत्या के प्रयास सहित झूठे लगाए गए मामलों को वापस लेने और साजिश के लिए जिम्मेदार पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह और अन्य अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति, डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय सहयोग नीति को वापस लेने और संघर्ष कर रहे सभी किसान संगठनों के साथ तुरंत चर्चा करने और एमएसपी, ऋण माफी, बिजली के निजीकरण और एलएआरआर अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन पर किसानों की लंबे समय से लंबित वास्तविक मांगों को स्वीकार करने का निर्देश दें.
एनडीए 2 सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष के मद्देनजर 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हस्ताक्षरित समझौते का उल्लंघन किया है, जिसने तीन कृषि अधिनियमों को निरस्त करना सुनिश्चित किया था.
एसकेएम ने 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए3 सरकार के सत्ता में आने के ठीक बाद 16, 17, 18 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं और सभी संसद सदस्यों को ज्ञापन सौंपा था. किसानों ने 9 अगस्त 2024 को पूरे देश में कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. एसकेएम ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कृषि श्रमिक संघों और मंचों के साथ मिलकर 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें लगभग दस लाख लोगों ने भाग लिया और 26 नवंबर 2024 को जिला कलेक्टरों के माध्यम से आपको एक ज्ञापन सौंपा.
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघर्ष कर रहे किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं. इसके बजाय, पंजाब के शंभू और खनौरी सीमाओं और उत्तर प्रदेश के नोएडा-ग्रेटर नोएडा में किसानों के संघर्ष को आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां, पानी की बौछारों का इस्तेमाल करके और शांतिपूर्ण प्रदर्शन और धरना करने के लिए सैकड़ों किसानों को जेल में डालकर दबाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
गौतम बुद्ध नगर में, एफआईआर संख्या 0538 दिनांक 4 दिसंबर 2024 से पता चलता है कि पुलिस कमिश्नरेट ने 112 किसानों को एक पुलिस सब इंस्पेक्टर राजीव कुमार की हत्या के प्रयास और मेट्रो ट्रेन रोकने के लिए भारतीय नागरिक न्याय संहिता की धारा 109 के झूठे आरोपों में फंसाया है, जो निराधार हैं. किसान पिछले 21 दिनों से जेल में बंद हैं.
नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से फिर से लागू करने की कॉर्पोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है. पिछले तीन वर्षों में खाद्य सब्सिडी में 60,470 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी में 62,445 करोड़ रुपये की कटौती देश की सीमित एमएसपी और खाद्य सुरक्षा की मौजूदा व्यवस्था पर कॉर्पोरेट हमले हैं. कॉर्पोरेट ताकतें भारत के मेहनतकश लोगों को चुनौती दे रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार केवल कॉर्पोरेट हितों की सेवा कर रही है.
हमें उम्मीद है कि भारत सरकार के मुखिया के रूप में आप इस देश के किसानों द्वारा इस ज्ञापन में उठाई गई वास्तविक मांगों पर गंभीरता से ध्यान देंगी और उन पर पर्याप्त व तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करेंगीं. हम आपसे तुरंत यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं:
1. किसान संगठनों के साथ बातचीत करें और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाएं.
2. दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद करें.
3. नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी किसानों को लुक्सर जेल से रिहा करें.
4. राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को वापस लें.
5. सभी किसान संगठनों के साथ तत्काल चर्चा करें और 9 दिसंबर, 2021 के पत्र में सहमति के अनुसार सभी लंबित मुद्दों का समाधान करें.
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