हरियाणा के यमुनानगर में किसानों ने सोलर पैनल लगाने का विरोध किया है. किसानों ने इस बात पर चिंता जताई है कि खेत में सोलर पैनल की निगरानी कौन करेगा क्योंकि इसकी चोरी बहुत होती है. इस चिंता को जाहिर करते हुए किसानों ने हरियाणा सरकार से बिजली कनेक्शन देने की मांग की है. हरियाणा सरकार किसानों को सोलर पैनल के जरिये सिंचाई के लिए बिजली देने की योजना लेकर आई है, लेकिन यमुनानगर जिले में इसे लेकर विरोध देखा जा रहा है.
शनिवार को भगवानपुर (घोरो पिपली) गांव में भारतीय किसान संघ (BKS) ने एक बैठक में यह मुद्दा उठाया. बैठक में बोलते हुए, बीकेएस के महासचिव रामबीर सिंह चौहान ने कहा, "किसानों के लिए सौर पैनलों की सुरक्षा करना संभव नहीं है, क्योंकि ये अक्सर खेतों से चोरी हो जाते हैं. सरकार को उन्हें सौर ऊर्जा पर निर्भर रहने के लिए मजबूर करने के बजाय पहली प्राथमिकता पर ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन जारी करने पर ध्यान लगाना चाहिए."
बैठक में भारतीय किसान संघ के कई नेताओं ने भाग लिया और किसानों के कई मुद्दों पर चर्चा की. जिला अध्यक्ष सुरेश राणा के साथ-साथ नेता प्रताप सिंह, राम कुमार कमालपुर, पंडित लखमी चंद, मदन भगत और अन्य ने भी चर्चा में भाग लिया.
चौहान ने ट्यूबवेल के लिए डीजल इंजन पर निर्भरता के कारण किसानों पर पड़ने वाले खर्च के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन जारी करने में तेजी लानी चाहिए, ताकि महंगे और पर्यावरण के लिए हानिकारक डीजल इंजन पर किसानों की निर्भरता कम हो सके." यमुनानगर और घोरो पिपली गांव के बीच यमुना पर लंबे समय से मांगे जा रहे पुल के निर्माण पर भी चर्चा हुई.
चौहान ने कहा, "घोरो पिपली और आस-पास के गांवों के निवासी सालों से सरकार से इस पुल के निर्माण की मांग कर रहे हैं. विरोध के तौर पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने के बावजूद सरकार ने उनकी मांग को नजरअंदाज किया है." किसानों ने इन ज्वलंत मुद्दों के समाधान के लिए सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की मांग दोहराई.
हरियाणा सरकार किसानों को 3 एचपी से लेकर 10 एचपी तक के सोलर पंप पर 75 परसेंट तक सब्सिडी दे रही है. हरियाणा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (HAREDA) की ओर से घोषित यह योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) कार्यक्रम का हिस्सा है. इस कार्यक्रम के तहत अगर सोलर पंप की क्षमता 3 एचपी (हॉर्सपावर) से 7.5 एचपी के बीच है तो किसान को लागत का 25 परसेंट भुगतान करना होगा. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) कुल लागत का 30 परसेंट सब्सिडी देगा और राज्य सरकार लागत का 45 परसेंट सब्सिडी देगी.
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