किसानों ने 13 और 26 जनवरी के लिए किया बड़ा ऐलान, पंजाब की महापंचायत में लिया फैसला

किसानों ने 13 और 26 जनवरी के लिए किया बड़ा ऐलान, पंजाब की महापंचायत में लिया फैसला

मोगा महापंचायत ने कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति ढांचे को खारिज करने का संकल्प लिया और स्वामीनाथन फार्मूले पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी तैयार करने और खरीद, दिल्ली समझौते के सभी सहमत बिंदुओं को लागू करने और सभी किसानों और श्रमिकों के लिए कर्ज माफी की मांग की. किसानों की मांगों को देखते हुए एकता प्रस्ताव पारित किया गया.

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किसानों ने 13 और 26 जनवरी के लिए किया बड़ा ऐलान, पंजाब की महापंचायत में लिया फैसलामोगा में एसकेएम की महापंचायत

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि संगठन ने कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा (NPFAM) के मसौदे को खारिज कर दिया है. इस मसौदा नीति के खिलाफ 13 जनवरी को इसकी प्रतियां जलाने और 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का आह्वान किया गया है. एसकेएम की इस रैली में एनपीएफएएम का विरोध किया जाएगा और स्वामीनाथन फार्मूले पर एमएसपी, कानूनी खरीद गारंटी, किसानों और श्रमिकों के लिए कर् माफी की मांग उठाई जाएगी. ये घोषणाएं गुरुवार को मोगा में एसकेएम की महापंचायत के दौरान की गईं.

इस महापंचायत में पंजाब के कोने-कोने से किसान आए थे और भागीदारी के लिए मोगा में एकत्र हुए थे. मोगा महापंचायत ने कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति ढांचे को खारिज करने का संकल्प लिया और स्वामीनाथन फार्मूले पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी तैयार करने और खरीद, दिल्ली समझौते के सभी सहमत बिंदुओं को लागू करने और सभी किसानों और श्रमिकों के लिए कर्ज माफी की मांग की. किसानों की मांगों को देखते हुए एकता प्रस्ताव पारित किया गया. एसकेएम की 6 सदस्यीय एकता समिति 10 जनवरी को खनौरी और शंभू बॉर्डर पर जाएगी और एकता बनाने की शपथ लेगी. 

डल्लेवाल को लेकर केंद्र को चेतावनी

अपने दौरे के दौरान छह सदस्यीय समिति ने दोनों मंचों को 15 जनवरी को पटियाला में एक संयुक्त बैठक के लिए आमंत्रित किया. एसकेएम ने कहा कि यह केंद्र सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज चौहान हैं जो किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की मौजूदा गतिरोध और स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं, जो आमरण अनशन पर हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि डल्लेवाल की जान बचाने के लिए उन्हें संघर्षरत संगठनों से बातचीत करनी चाहिए. मोर्चा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अगर डल्लेवाल के साथ कुछ भी अनहोनी हुई तो वह सख्त कार्रवाई करेगी.

महापंचायत ने घोषणा की कि कृषि मार्केटिंग पर नई राष्ट्रीय नीति रूपरेखा खारिज और निरस्त किए गए 3 काले कृषि कानूनों का एक खतरनाक संस्करण है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार एक बार फिर साम्राज्यवादियों के लिए काम कर रही है और संघीय कामकाज के संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. महापंचायत में नेताओं ने कहा कि डब्ल्यूटीओ और उनके कॉरपोरेट मित्रों की नीतियों ने भारत के किसानों पर नए सिरे से हमला किया है और हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते. उन्होंने सभी राज्य सरकारों से संघीय सिद्धांतों की रक्षा करने और विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके इस मसौदे को खारिज करने की अपील की. उन्होंने कहा कि विपक्ष शासित राज्यों को इसमें आगे आना चाहिए और उन्होंने इस संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री के बयान का स्वागत किया. उन्होंने यह भी मांग की कि पंजाब सरकार तुरंत विधानसभा का सत्र बुलाए और इसे खारिज करने का प्रस्ताव पारित करे.

केंद्र के खिलाफ एकजुटता की अपील

नेताओं ने किसानों से इसके लिए केंद्र सरकार के खिलाफ एक मजबूत और एकजुट आंदोलन बनाने के लिए तैयार रहने की अपील की. महापंचायत के नेताओं ने कहा कि संसद की स्थायी समिति ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को भूलकर एमएसपी और खरीद गारंटी पर अधूरी सिफारिशें की हैं. एसकेएम ने इन सिफारिशों को खारिज कर दिया है और कहा है कि वे एमएसपी की मांग को लेकर लंबे समय तक आंदोलन के लिए तैयार हैं.

सभा को बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, राकेश टिकैत, हरमीत सिंह कादियान, डॉ. दर्शनपाल, रमिंदर सिंह पटियाला, कृष्ण प्रसाद, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल, मनजीत सिंह धनेर, डॉ. सतनाम सिंह अजनाला, पुरुषोत्तम शर्मा, बलदेव सिंह निहालगढ़, रुलदू सिंह मानसा और राजन श्रीसागर, जोगिंदर नैन व अन्य ने संबोधित किया. एसकेएम अपने भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए 24 और 25 जनवरी को दिल्ली में अपनी राष्ट्रीय बैठक करेगा.

 

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