चंडीगढ़ में मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक हुई. इस बैठक के बाद किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने कहा कि एसकेएम का एक प्रतिनिधिमंडल देश के राष्ट्रपति या केंद्रीय कृषि मंत्री से जनवरी के पहले सप्ताह में मिलेगा. उन्होंने कहा कि पहले कोशिश राष्ट्रपति से मिलने की होगी, अगर उनसे मुलाकात नहीं होती है तो कृषि मंत्री से मुलाकात की जाएगी. भंगू ने कहा कि 2020 में किसान एकजुट थे, इसलिए मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिया. लेकिन अब हम विभाजित हैं और सरकार ने इसका फायदा उठाया है.
भंगू ने कहा कि अनशन करना जगजीत सिंह डल्लेवाल का विशेषाधिकार है, लेकिन सरकार को बातचीत करनी चाहिए. हम राष्ट्रपति से मिलने की योजना बना रहे हैं - हालांकि हमें पता है कि वह केवल एक रबर स्टांप हैं, लेकिन यह एक प्रयास है संवैधानिक संस्था से मिलकर कोई रास्ता खोजने का.
किसान नेता भंगू ने कहा कि अगर जगजीत डल्लेवाल को कुछ हो जाता है तो पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. इस वक्त हालत बेहद नाजुक हैं, इसलिए सरकार को जल्द इसमें रास्ता निकालना चाहिए. 9 तारीख को इसे लेकर मोगा में किसानों का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.
पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जिनका आमरण अनशन मंगलवार को 29वें दिन में प्रवेश कर गया, ने कहा कि उन्हें "इस लड़ाई को जीतने के लिए एकजुट होकर लड़ना होगा". डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं ताकि केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को मानने का दबाव बनाया जा सके, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी भी शामिल है.
अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के मद्देनजर बनाए गए खास स्टेज से किसानों को संबोधित करते हुए डल्लेवाल ने आंदोलन को समर्थन देने वालों का हार्दिक आभार व्यक्त किया. "मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि मैं ठीक हूं," उन्होंने एक कमजोर आवाज में कहा, जबकि एक अन्य किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने उनकी मदद की.
"हमें यह लड़ाई जीतनी है. यह लड़ाई तभी जीती जाएगी जब पूरा देश एकजुट होकर लड़ेगा," डल्लेवाल ने कहा. 70 वर्षीय डल्लेवाल ने अपने दो मिनट से अधिक लंबे भाषण में कहा, "मैं चाहता हूं कि सरकार हमें किसी भी कीमत पर यहां से बेदखल न कर पाए. अगर वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो या तो हम जीतेंगे या मरेंगे, दो चीजों में से एक होगा."
उधर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को केंद्र से आग्रह किया कि वह अपनी "जिद" त्याग दे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित अलग-अलग मुद्दों को लेकर राज्य की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत करे.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल किसानों की मांगों को स्वीकार करने और केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर हैं.
पंजाब के सीएम ने ट्वीट किया और लिखा, केंद्र सरकार को अपनी पुरानी जिद छोड़कर किसान संगठनों से बातचीत का रास्ता खोलना चाहिए. कबूतर के आंख मारने से बिल्ली नहीं भागती. पता नहीं केंद्र सरकार अब कौन सा प्रायश्चित कर रही है? अगर मोदी जी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोक सकते हैं तो क्या 200 किलोमीटर दूर बैठे अन्नदाताओं से बात नहीं कर सकते? किस समय का इंतजार कर रहे हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today