हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन ने जो कमाल किया है, अब वह उसके बाद हरियाणा के विधानसभा चुनावों में भी इसे दोहराने की कोशिश में है. एक रिपोर्ट की मानें तो सपा इस साल के अंत में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. उसका यह कदम कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकता है. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव की अगुआई वाली पार्टी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हरियाणा में मौजूद अहीर वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. ज्यादातर अहीर खुद को यादव समुदाय का हिस्सा मानते हैं.
वेबसाइट द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार सपा छह से आठ निर्वाचन क्षेत्रों पर नजर गड़ाए हुए है. यह वो क्षेत्र हैं जहां पर मुसलमानों और अहीरों की अच्छी खासी आबादी है. उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के पूर्व नेता डॉ. संजय लाठर के हवाले से वेबसाइट ने लिखा है कि यादव ने उनसे छह से आठ जीतने योग्य सीटों की पहचान करने को कहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की दस सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने की संभावना है.
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कांग्रेस ने इंडिया ब्लॉक के तहत सपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, इसलिए कांग्रेस इन सीटों पर हिस्सा लेना चाहती है. हालांकि सपा यह भी चाहेगी कि कांग्रेस, हरियाणा और महाराष्ट्र में सपा को कुछ सीटें दे दे. हरियाणा और महाराष्ट्र के अलावा झारखंड में भी अक्टूबर में चुनाव होने हैं. इसीलिए हमारे नेता अखिलेश यादव ने हमसे सीटों की पहचान करने को कहा है.
लाठर की मानें तो सपा गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों में जीतने लायक सीटों की तलाश कर रही है जहां यादव और मुस्लिमों की संख्या बहुत ज्यादा है. साल 2005 में लाठर ने जींद जिले की जुलाना सीट से सपा उम्मीदवार के तौर पर हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा था और 4,983 वोट हासिल किए थे. उन्होंने बताया कि कांग्रेस न सिर्फ गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों में बल्कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित करनाल, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल जैसे अन्य जिलों में भी लगातार सीटें हार रही है.
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लाठर की मानें तो पार्टी कार्यकर्ताओं के इन जिलों में रिश्ते हैं. इसलिए सपा न सिर्फ कुछ सीटें जीत सकती है बल्कि इन जिलों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन में भी मददगार साबित हो सकती है. हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हवाले से वेबसाइट ने लिखा है कि अभी तक हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में इस दिशा में कोई प्रगति होती है तो वह कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर होगी. फिलहाल, ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है.
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उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटें खाली हो गई हैं और इन पर उपचुनाव हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ ही या उससे पहले होने की संभावना है. इनमें से नौ सीटें अब विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण खाली हो गई हैं. इनमें करहल भी शामिल है जो यादव ने लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट जीतने के बाद खाली की थी. एक और सीट है कानपुर की सीसामऊ है, जो विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में सात साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद खाली हो गई है.
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