महाराष्ट्र की महिलाओं के लिए प्रमुख आर्थिक मदद वाली योजना मुख्यमंत्री माझी लाड़की बाहिण पर विवाद छिड़ गया है. शुरुआती जांच से पता चला है कि करीब 26 लाख अयोग्य लाभार्थी इसका फायदा उठा रहे हैं. आपको बता दें कि इस योजना को किसानों की कर्ज माफी की राह में सबसे बड़ी रुकावट करार दिया गया है. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति एस. तटकरे ने सोमवार को बताया कि आईटी डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी लाभ ले रहे हैं जो योग्यता के सभी मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं.
मंत्री ने कहा कि सभी जानकारियां जिलाधिकारियों को भेज दी गई हैं. फिजिकल वैरीफिकेशन के बाद ही इनकी योग्यता की अंतिम पुष्टि होगी. उन्होंने साफ किया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार के आदेश के बाद अयोग्य पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. वहीं, जो महिलाएं पात्र हैं, उन्हें योजना का लाभ लगातार मिलता रहेगा.
ये ताजा घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि महाराष्ट्र के पूर्व कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने इस साल फरवरी में इसे किसानों की कर्ज माफी की बड़ी रुकावट बताया था. उन्होंने कहा था कि लड़की बहन योजना राज्य के खजाने पर बोझ डाल रही है. उनका कहना था कि यह योजना कृषि ऋण माफी की सरकार की क्षमता को प्रभावित कर रही है. कोकाटे का कहना था कि लड़की बहन योजना के कारण सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और इसने राज्य की सरप्लस राशि को तैयार करने की क्षमता को प्रभावित किया है. उनका दावा था कि अगर यह योजना नहीं होती तो इसकी रकम को किसानों की ऋण माफ करने के लिए आवंटित कर दी जाती.
इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. राकांपा (शरद पवार) नेता सुप्रिया सुले ने योजना में 4,800 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा करते हुए श्वेत पत्र जारी करने और कैग की अध्यक्षता में जांच की मांग की है. पुणे में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने करीब 25–26 लाख नाम लाभार्थियों की सूची से हटा दिए हैं, जिनमें अकेले पुणे जिले से लगभग दो लाख महिलाएं शामिल हैं. सुले ने सवाल उठाया कि जब बैंक खाता और आधार कार्ड जमा कराए गए थे तो KYC प्रक्रिया और दस्तावेज़ सत्यापन क्यों नहीं हुआ. सुले ने कहा, 'सरकार को यह साफ करना चाहिए कि यह पैसा आखिर गया कहां. मैं इस मामले में जल्द ही जनहित याचिका दायर करूंगी.
रविवार को मंत्री छगन भुजबल ने अपात्र लाभार्थियों से स्वयं आगे आकर नाम वापस लेने की अपील की थी. साथ ही उन्होंने योजना में नामिनेटेड पुरुषों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है. सुप्रिया सुले ने भी इस रुख का समर्थन करते हुए कहा कि जांच में उन सभी लोगों की पहचान जरूरी है जिन्होंने गलत तरीके से लाभ उठाया है.
महाराष्ट्र सरकार की इस योजना का असली मकसद महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना है. ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बाहिणयोजना’ के तहत राज्य सरकार उन परिवारों की महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की आर्थिक मदद देती है जिनकी सालाना आय2.5 लाख रुपये या उससे कम है. यह योजना 21 से 65 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के लिए लागू है.
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