पंजाब और हरियाणा सरकार के बीच जारी पानी विवाद पर अब केंद्र सरकार ने अपनी नाराजगी जताई है. सोमवार केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 'हर जगह अपनी शर्तें थोपने' की कोशिश कर रही है. पंजाब सरकार की ओर से अप्रैल में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को हरियाणा के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया था. इसके बाद से ही दोनों राज्यों की सरकारों के बीच तनाव की स्थिति है.
केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को हुई बीबीएमबी जल विवाद मामले की सुनवाई के दौरान बंटवारे पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर जोर दिया गया. साथ ही इसके लिए भाई कन्हैया की कहानी का हवाला दिया. चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की बेंच के सामने पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सामने कहा कि विवाद केवल पानी बंटवारे के बारे में नहीं है बल्कि सभी के लिए दया और सेवा के मूल्यों को कायम रखने के बारे में है. भाई कन्हैया का उदाहरण देते हुए जैन ने कहा कि उन्होंने आनंदपुर साहिब की लड़ाई के दौरान विरोध के बावजूद सिख और मुगल दोनों सेनाओं के घायल सैनिकों को अंधाधुंध पानी पिलाया था.
भाई कन्हैया ने घायलों के बीच भेदभाव करने में अपनी असमर्थता जताई. इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह ने सार्वभौमिक करुणा की भावना के आधार पर भाई कन्हैया के कार्यों को आशीर्वाद दिया. सोमवार दोपहर जब कोर्ट की कार्यवाही खत्म होने को थी तो केंद्र का यह बयान प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की पिछली टिप्पणी की पृष्ठभूमि में और भी महत्वपूर्ण हो गया. इसमें कहा गया था, 'हम अपने दुश्मन देश के साथ ऐसा कर रहे हैं. हमें अपने राज्यों के भीतर ऐसा नहीं करना चाहिए.' कोर्ट ने अंतर-राज्यीय विवादों में दुश्मनी का रवैया अपनाने के खिलाफ चेतावनी दी थी. साथ ही सहयोग की भावना की जरूरत पर भी जोर दिया था.
केंद्र ने पंजाब पर अदालतों समेत सभी संस्थाओं को 'धमकाने' और अदालत की तरफ से जारी निर्देशों समेत सभी निर्देशों का पालन करने से इनकार करने का भी आरोप लगाया. यह आरोप तब लगाया गया जब पीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के विवाद का जिक्र करते हुए जैन ने कहा कि राज्य को 4,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्णय केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था.
उन्होंने कहा कि उसी दिन शाम 6.43 बजे प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की तरफ से जारी नोट में साफतौर पर फैसला दर्ज किया गया था.इसे बाद में प्रमुख अखबारों में भी प्रकाशित किया गया. जैन ने कोर्ट को बताया, 'बैठक में शामिल पंजाब के किसी भी अधिकारी ने आज तक इस तथ्य का खंडन नहीं किया है कि ऐसा कोई फैसला लिया गया था.' उन्होंने कहा, ' पंजाब कोर्टकी तरफ से जारी किए गए किसी भी निर्देश का पालन नहीं करना चाहता है.'
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