धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. धान की खेती करने वाले ज्यादा किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे अच्छा उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल सके. वहीं मई आते ही कई राज्यों में किसान धान की बिजाई यानी नर्सरी लगना शुरू कर देते हैं. उधर, उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी में जीवामृत और गोमूत्र से हरित क्रांति आ रही है. खेतों में कीटनाशक और रासायनिक खादों के बजाय गौ आधारित प्राकृतिक खेती की महक बिखर रही है. इतना ही नहीं प्रगतिशील किसान आनंद कुमार मौर्य जिले के 200 किसानों को इस विधा से जोड़कर गौ आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाकर जिले का नाम पूरे प्रदेश में रोशन कर रहे हैं.
आनंद मौर्य ग्राम पोस्ट पलहरी के निवासी हैं अपने कृषि फार्म पर मंसूरी प्रजाति का देसी धान की रोपाई 25 मई से लाइन में लगवाया गया है. पेड़ से पेड़ की दूरी 4 इंच है और लाइन से लाइन की दूरी 6 इंच है. मंसूरी धान की खासियत हैं कि रोपाई के 105 दिनों में तैयार हो जाता है और खाने में बड़ा स्वादिष्ट होता है. आनंद कुमार मौर्य ने बताया कि इस प्रजाति धान को किसान भाई बहुत ही आसानी से पैदा कर सकते हैं इसकी पैदावार एक बीघे में 4 से 5 कुंतल हो जाती है.
उन्होंने बताया कि यह धान को गौ आधारित प्राकृतिक खेती की विधा से इसकी उपज बहुत ही सरलता पूर्वक हो जाती है. इसकी रोपाई से पहले खेत बनाते समय घन जीवामृत का प्रयोग किया गया और धान का खेत तैयार किया गया. धान की रोपाई के 21 दिन बाद जीवामृत का प्रयोग धान की फसल में सिंचाई एवं छिड़काव विधि से होता रहेगा और समय समय पर दस प्रणीय अर्क का उपयोग भी किया जाएगा. विशेषज्ञ इसे जीरो बजट की खेती भी बता रहे हैं.
उप्र के कृषि निदेशक जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि इस किस्म का नाम है सबौर मंसूरी धान. इस धान की खासियत ये है कि कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में अधिक उपज देती है. धान की नई वैरायटी सबौर मंसूरी से लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज मिलती है. आपको बता दें कि केंद्र से इस किस्म की अधिसूचना एक महीने में जारी हो जाएगी. ऐसे में इस खरीफ मौसम में ही किसान इस धान की खेती कर सकेंगे. वहीं इस धान की खास बात ये है कि इस धान के बीज को बिना रोपनी के सिधी बिजाई से भी लगा सकते हैं.
साथ ही इसका औसत उत्पादन 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. अधिकतम उत्पादन की बात करें तो वो 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इसके अलावा ये धान सीधी बुवाई में 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाता है.
योगी सरकार की मंशा है कि हर गो आश्रय खुद में आत्मनिर्भर बनें. इसके लिए सरकार इन आश्रयों को गो आधारित प्राकृतिक खेती और और अन्य उत्पादों के ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदित्यनाथ का शुरू से मानना रहा है कि तरक्की के लिए हमें समय के साथ कदमताल करना होगा. प्राकृतिक खेती भी इसका अपवाद नहीं. इस विधा की खेती करने वाले परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें, इसके लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए सरकार विश्वविद्यालय भी खोलने जा रही है.
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