किसानों संग मीटिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए CM मान, कहा-जाओ करते रहो धरना

किसानों संग मीटिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए CM मान, कहा-जाओ करते रहो धरना

सोमवार को किसानों संग बैठक में उस समय नाटकीय मोड़ आया जब सीएम मान तीखी बहस के बाद गुस्से में चले गए, जिससे किसान नेता परेशान हो गए. बीकेयू एकता उग्राहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहां ने 'इंडिया टुडे' से कहा, "यह पहली बार है, जब हमने किसी सीएम को इस तरह से काम करते देखा है."

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किसानों संग मीटिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए CM मान, कहा-जाओ करते रहो धरनापंजाब के सीएम भगवंत मान. (फाइल फोटो)

पंजाब में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों (संयुक्त किसान मोर्चा के 40 राजनीतिक नेताओं) और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच सोमवार को हुई बैठक में हंगामा हो गया, क्योंकि मुख्यमंत्री भगवंत मान कथित तौर पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) नेताओं के साथ बैठक से बाहर चले गए. पंजाब सरकार की ओर से बुलाई गई इस बैठक का मकसद एसकेएम से जुड़े किसान संघों के साथ मुद्दों को सुलझाना और उन्हें 5 मार्च को होने वाले अपने निर्धारित विरोध प्रदर्शन को रद्द करने के लिए राजी करना था.

बैठक में उस समय नाटकीय मोड़ आया जब सीएम मान तीखी बहस के बाद गुस्से में चले गए, जिससे किसान नेता परेशान हो गए. बीकेयू एकता उग्राहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहां ने 'इंडिया टुडे' से कहा, "यह पहली बार है, जब हमने किसी सीएम को इस तरह से काम करते देखा है." 

मीटिंग में अचानक नाराज हुए सीएम मान

किसानों ने दावा किया कि बैठक के दौरान सीएम मान ने कहा, "मैंने बैठक इसलिए नहीं बुलाई क्योंकि मुझे विरोध प्रदर्शनों से डर लगता है." उन्होंने यह भी कहा, "उन्होंने हमसे कहा, 'आगे बढ़ो, विरोध करते रहो.'" किसानों ने कहा, "हमें विरोध करने का अधिकार है और हमने सीएम से यह कहा. लेकिन हमारी बात सुने बिना ही वह उठकर बैठक से चले गए."

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किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों से बातचीत के दौरान पंजाब के सीएम भगवंत मान अचानक 'हाईपर' हो गए और बैठक से यह कहते हुए चले गए कि "5 तारीख को जो करना है करो, अगर करना है तो विरोध करो."

राजेवाल ने कहा कि अपने लंबे संघर्ष के दौरान उन्होंने अलग-अलग राज्यों के प्रधानमंत्रियों और कई मुख्यमंत्रियों से बात की है, लेकिन उन्होंने ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा. उन्होंने कहा कि चर्चा सौहार्दपूर्ण रही थी और कई मुद्दों पर चर्चा हो रही थी, लेकिन अचानक सीएम नाराज हो गए और बैठक को बीच में ही छोड़ कर चले गए.

बैठक के बाद किसानों ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि शुरू में बातचीत अच्छी चल रही थी. लेकिन जब कुछ मांगों पर बहस शुरू हुई तो मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर उन्हें अपमानित करते हुए कहा, "आगे बढ़ो, विरोध करते रहो..." किसानों ने यह भी बताया कि सीएम मान ने 5 मार्च को उनके प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन पर सवाल उठाए.

सीएम मान ने किसानों से की अपील

इसके कुछ देर बाद ही पंजाब के सीएम ने ट्वीट किया, "आज पंजाब भवन में हुई बैठक में मैंने किसान संगठनों के सभी सम्मानित नेताओं से अपील की कि वे समझें कि सड़कें जाम करना, ट्रेनें रोकना या पंजाब बंद का आह्वान करना किसी समस्या का समाधान नहीं है. इन कार्रवाइयों से आम लोगों को ही परेशानी होती है. इसका समाज के अन्य वर्गों के काम-धंधों पर भी खासा असर पड़ता है और हमें इसे भी ध्यान में रखना चाहिए."

किसान नेताओं में भारी नाराजगी

कांग्रेस नेता परगट सिंह ने ट्वीट किया, "पंजाब के किसी भी मुख्यमंत्री ने कभी भी किसानों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जैसा भगवंत मान कर रहे हैं. यह बीजेपी की अपनी ध्रुवीकरण की राजनीति को आगे बढ़ाने और किसानों को बदनाम करने की साजिश मात्र है. अगर सीएम भगवंत मान को वास्तव में पंजाब बंद की परवाह होती, तो वे बीजेपी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार के खिलाफ कार्रवाई करते, जो पिछले एक साल से पंजाब की सीमाओं को बंद कर रही है.

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बैठक में कोई सहमति नहीं बनी और अब उन्होंने अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है. उन्होंने सीएम के रवैये से आहत होने का भी आरोप लगाया. प्रदर्शनकारी नेताओं ने कहा, "अगर सरकार या सीएम वाकई किसान हितैषी होते तो आज वे इस तरह का व्यवहार नहीं करते."

18 मांगों में से कुछ इस प्रकार हैं

  1. किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार और किसानों के बीच एक उप-समिति का गठन.
  2. नाबार्ड लोन के लिए एकमुश्त निपटान योजना शुरू करना, जो सरकारी विभागों को दी जाती है.
  3. 1 जनवरी, 2023 से सरहिंद फीडर नहर पर लगे मोटरों के लिए बिजली बिल माफ करना.
  4. 2024-25 तक सरकारी भूमि पट्टे से संबंधित मुद्दों का समाधान करना.
  5. आवारा पशुओं से फसल को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किसानों को राइफल लाइसेंस जारी करना.
  6. किसानों के लिए प्रीपेड बिजली मीटर लागू करना.
  7. किसानों को नैनो-पैकेजिंग और अन्य उत्पादों की जबरन आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाना.
  8. बाढ़ से हुई गन्ने की फसल के नुकसान के लिए मुआवजा देना.
  9. सहकारी समितियों में नए खाते खोलने पर प्रतिबंध हटाना.
  10. किसानों की अन्य चिंताओं को दूर करने के लिए अतिरिक्त उप-समितियों का गठन करना.
  11. राष्ट्रीय भूमि अनुसंधान अधिनियम के तहत किसानों की मांगों को मानना.

ये मांगें पंजाब के किसानों की मौजूदा चिंताओं को दिखाती हैं, और 5 मार्च को होने वाले विरोध प्रदर्शन का मकसद सरकार पर आगे की कार्रवाई के लिए दबाव बनाना है. लेकिन यह हंगामेदार बैठक किसी भी पक्ष के लिए शुभ संकेत नहीं हो सकती है.(अमन भारद्वाज के इनपुट के साथ)

 

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