पंजाब विधानसभा ने सोमवार को केंद्र सरकार की मसौदा कृषि मार्केटिंग नीति के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर दिया. पंजाब सरकार शुरू से इसका विरोध कर रही थी. पंजाब के किसान संगठन भी इसके विरोध में खड़े थे. इसके बाद पंजाब सरकार ने मार्केटिंग नीति के खिलाफ विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित कर दिया. कृषि मार्केटिंग नीति को पंजाब सरकार ने राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण बताया और कहा कि कृषि से जुड़ी नीतियां राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती हैं. पंजाब सरकार ने यह भी कहा कि मसौदा कृषि नीति के तहत केंद्र सरकार पहले निरस्त किए गए 3 कृषि कानूनों को लाने का प्रयास कर रही है.
इससे पहले, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार ने 11 महीने तक कृषि से जुड़े बिल पर कोई चर्चा नहीं की और अब अचानक इसे पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को वास्तव में किसानों की चिंता होती, तो कृषि मंत्री को सभी राजनीतिक दलों, किसान संगठनों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, जिससे यह साबित होता है कि सरकार की नीयत साफ नहीं है.
बाजवा ने दावा किया कि केंद्र सरकार की ओर से वापस लिए गए तीन कृषि कानूनों को अब परोक्ष रूप से फिर से लाने की कोशिश की जा रही है और राज्य सरकार इसमें सहयोग कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के इस कदम का पूरी ताकत से विरोध करेगी.
दूसरी ओर, पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार ने कृषि मार्केटिंग पर केंद्र की नई राष्ट्रीय नीति को खारिज करने की घोषणा की, जिसमें दावा किया गया है कि यह कृषि मामलों पर राज्य के अधिकार को कमजोर करती है. इसके विरोध में कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां ने मंगलवार को विधानसभा सत्र में एक प्रस्ताव पेश किया जिसे पारित कर दिया गया. पंजाब के किसान नेता लंबे दिनों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि केंद्र की नई नीति के प्रस्ताव को खारिज कर दिया जाए.
इससे पहले 22 फरवरी को चंडीगढ़ में केंद्र के पैनल के साथ बैठक के तुरंत बाद मीडिया से बात करते हुए किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा था, "हमने पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां और खाद्य मंत्री लाल चंद कटरूचक से अनुरोध किया है कि केंद्र के लाए गए नए कृषि नीति प्रस्ताव को विशेष विधानसभा सत्र के दौरान खारिज किया जाना चाहिए."
इस नीति के प्रस्ताव को लेकर पंजाब सरकार ने अपना विरोध स्पष्ट कर दिया है. पंजाब सरकार ने कहा है कि नई कृषि मार्केटिंग मसौदा नीति विवादास्पद कृषि कानूनों से मिलती जुलती है, जिन्हें भारी किसान विरोध के बाद 2021 में निरस्त कर दिया गया था. इसी के साथ पंजाब सरकार केंद्र सरकार से राज्यों को अपनी कृषि जरूरत के आधार पर नीतियां बनाने की आाजादी देने की मांग की है.
सदन में बोलते हुए कृषि मंत्री खुड़ियां ने कहा, "कृषि राज्य का विषय है और हमारे पास एक अच्छी तरह से बना हुआ कृषि मार्केटिंग सिस्टम है. लेकिन बिना किसी कारण के केंद्र अपनी नीति लागू करना चाहता है. हम इसे पूरी तरह से खारिज करते हैं. यह सिर्फ इतना है कि केंद्र कॉरपोरेट्स का पक्ष लेना चाहता है और तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करना चाहता है जिन्हें समाप्त कर दिया गया था."
उन्होंने कहा कि पंजाब की अपनी मार्केटिंग प्रणाली काफी अच्छी है और राज्य में ग्रामीण सड़कों और मंडियों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय नीति को लागू करने की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए हम इसे खारिज करते हैं.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी राज्यों पर अपनी नीतियां थोपने और राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करने के लिए केंद्र की आलोचना की. उन्होंने कहा, हम इस राष्ट्रीय नीति के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और हम इसे खारिज करते हैं. (असीम बस्सी का इनपुट)
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