नदी पर एक पुल के लिए तरस गए त्रिपुरा के किसान, उपज बेचने के लिए घंटों का सफर करने को मजबूर 

नदी पर एक पुल के लिए तरस गए त्रिपुरा के किसान, उपज बेचने के लिए घंटों का सफर करने को मजबूर 

भारत दिन रात तरक्‍की कर रहा है लेकिन एक ऐसा राज्‍य है जहां अभी तक किसानों के लिए पुल की व्‍यवस्‍था तक नहीं हो सकी है. हम बात कर रहे हैं भारत के नॉर्थ-ईस्‍ट के एक राज्‍य त्रिपुरा की जहां पर नदी पर पुल न होने की वजह से किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए घंटों तक सफर करना पड़ता है. त्रिपुरा राज्‍य में आज तक मनु नदी पर एक पुल तक नहीं बन सका है. 

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नदी पर एक पुल के लिए तरस गए त्रिपुरा के किसान, उपज बेचने के लिए घंटों का सफर करने को मजबूर आज तक त्रिपुरा की मनु नदी पर नहीं बन सका है एक पुल

भारत दिन रात तरक्‍की कर रहा है लेकिन एक ऐसा राज्‍य है जहां अभी तक किसानों के लिए पुल की व्‍यवस्‍था तक नहीं हो सकी है. हम बात कर रहे हैं भारत के नॉर्थ-ईस्‍ट के एक राज्‍य त्रिपुरा की जहां पर नदी पर पुल न होने की वजह से किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए घंटों तक सफर करना पड़ता है. त्रिपुरा राज्‍य में आज तक मनु नदी पर एक पुल नहीं बन सका है जिसकी वजह से किसानों को हर बार कई मुश्किलों को सहना पड़ता है. किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई घंटों का सफर तय करना पड़ता है, जबकि पुल बन जाए तो यही सफर चुटकी में पुरा हो सकेगा. पुल नहीं होने से किसानों के साथ आमजन को भी बहुत परेशानी है. 

पुल नहीं होने से बढ़ीं मुश्किलें 

मनु नदी से अलग हुए राज्य के उनाकोटी जिले के कुमारघाट सब-डिविजन के तहत आने वाले दो गांवों - उज्जन दुधौर और बलाई बाजार के किसान, कड़े संघर्ष का सामना कर रहे हैं. आपको बता दें कि यहां के ज्यादातर लोग कृषि से जुड़े काम में लगे हुए हैं और पेशे से किसान हैं. अब इन किसानों ने शिकायत की है कि दोनों गांवों के लोग मनु नदी पर पुल की कमी के कारण अपनी फसलों या कृषि उत्पादों को बेचने के लिए ट्रांसपोर्ट में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. उन्हें बाजार तक जाने के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. 

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फसलों को बेचने में कठिनाई 

किसानों की मानें तो पुल की कमी के कारण उनको अपनी फसलों को बेचने के लिए कंचनबाड़ी बाजार में लंबी दूरी की सड़कों का सहारा लेना पड़ता है जिसके बहुत ज्‍यादा किराया खर्च करना होता है. इसके बाद किसानों को अपनी फसलों को बेचने में नुकसान झेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है. दोनों गांवों के स्थानीय लोगों की यह भी शिकायत है कि उन्हें यात्रा करने और खासतौर पर मरीजों को ले जाने में भी कठिनाई हो रही है. किसानों का अधिक पैसा ट्रांसपोर्ट पर खर्च होता है जिससे उनकी लागत बहुत कम निकल पाती है. 

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क्‍या है गांव वालों की मांग 

गांव वालों ने कहा कि 10 जून, 2022 को पबियाचेरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक और पूर्व मंत्री भगवान दास की तरफ से पैदल पुल के निर्माण के लिए आधारशिला रखी गई थी. इसके बाद निर्माण भी शुरू हुआ था लेकिन फिर इसे रोक दिया गया, जिससे ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ा. गांव वालों ने बताया कि पहले माल और यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए नाव की सुविधा थी, लेकिन बाद में यह सुविधा बंद हो गई. इसके बाद ग्रामीणों के पास लंबी दूरी की वैकल्पिक सड़कों से यात्रा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. गांव वालों ने नदी पर तुरंत पुल बनाने और दोनों गांवों के लोगों के लिए ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाने की मांग की है. 

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