Maharashtra farmers महाराष्ट्र में इस बार किसान भारी बारिश के चलते काफी नुकसान झेलने को मजबूर हैं. पहले मॉनसून और फिर बेमौसमी बारिश ने उन्हें तगड़ा नुकसान पहुंचाया है. वहीं राज्य सरकार की तरफ से भी किसानों को मदद दी जा रही है. लेकिन अब किसानों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर अब एक नया विवाद शुरू हो गया है. एक रिपोर्ट की मानें तो राज्य सरकार की तरफ से किसानों को जो मदद अब दी जा रही है, उससे जुड़ा प्रस्ताव भेजने में पूरे दो महीने की देरी हुई.
मराठी वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने भारी बारिश या बाढ़ और अनियमित बारिश से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा और राहत का प्रस्ताव तैयार किया था. लेकिन इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजने में दो महीने की देर कर दी. इस देरी के बारे में अब जाकर खबरें आई हैं और मामला संसद (लोकसभा) में भी चर्चा का विषय बन गया है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुध्वार दो दिसंबर को लोकसभा में इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित किसानों की मदद के लिए मदद का प्रस्ताव को 27 नवंबर को भेजा गया था.
वहीं कृषि मंत्री दत्तात्रय भरणे ने कहा कि सरकार ने पिछले आठ हफ्तों में अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. विपक्ष की तरफ से केंद्र सरकार से पूछा गयस था कि किसानों को अतिवृष्टि से राहत देने के लिए जो प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाना था, उसे भेजने में देरी क्यों हुई? शिवेसना (यूबीटी) सांसद कांग्रेस सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की तरफ से इस मसले को उठाया. उन्होंने पूछा कि जब किसानों की हालत इतनी खराब है, तब महाराष्ट्र सरकार की ओर से प्रस्ताव भेजने में देरी किस वजह से हुई? इसके जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जैसे ही राज्य सरकार का प्रस्ताव केंद्र को मिला, उस पर प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी गई.
महाराष्ट्र में भारी बारिश से हुए नुकसान के कारण किसानों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. वहीं किसानों को मदद मिलने में हो रही देर उनकी तकलीफ को और बढ़ा रही है. एनसीपी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि किसानों को अतिवृष्टि से राहत देने के लिए सरकार की ओर से कई बार भरोसा दिया गया है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ खास होता हुआ दिखाई नहीं देता. उनका कहना था कि सरकार की नीतियों का मकसद किसानों की मदद करना होता है. लेकिन जब असली मदद समय पर नहीं पहुंचती, तब किसानों को इंसाफ नहीं मिल पाता.
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