लोकसभा में प्रश्नों के जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहानलोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव, किसानों की स्थिति और केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब भारत की कृषि के लिए सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कारक बन चुका है और महाराष्ट्र उन राज्यों में है जहां इसका असर सबसे तेजी से दिखाई दे रहा है. चौहान ने बताया कि ICAR की NICRA (राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार) परियोजना का विस्तार महाराष्ट्र के कई जिलों में किया गया है.
यह परियोजना न केवल राज्य स्तर पर बल्कि जिला स्तर पर भी कृषि जोखिम और संवेदनशीलता का वैज्ञानिक मूल्यांकन करती है, जिससे यह पता चलता है कि मौसमीय उतार-चढ़ाव, जल संकट और सूखे का प्रभाव किस तरह फसलों पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि नांदेड़ और नंदुरबार जैसे जिलों को अत्यधिक जोखिम श्रेणी में रखा गया है, जबकि अकोला, बासिम, वर्धा, चंद्रपुर, हिंगोली, परभणी, जालना, अहमदनगर, लातूर और उस्मानाबाद को उच्च जोखिम वाले जिले माना गया है.
इनमें से अहमदनगर, बीड, जालना, लातूर और नंदुरबार जैसे छह जिलों में NICRA के पायलट प्रोजेक्ट लागू किए जा चुके हैं, जिनका उद्देश्य खेती को बदलते जलवायु पैटर्न के अनुसार तैयार करना है. मंत्री ने बताया कि परियोजना के तहत सामुदायिक तालाब, जलकुंड, नाली सिंचाई, टैंक से सिंचाई, कपास और चना में माइक्रो-इरिगेशन और फलों और सब्जियों में मल्चिंग जैसी जल संरक्षण और दक्षता बढ़ाने वाली तकनीकों को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है. सोयाबीन और काबुली चना की उन्नत किस्मों पर भी काम जारी है.
चौहान ने पशुपालन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का भी उल्लेख किया और कहा कि यह अध्ययन सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है, क्योंकि चरागाह, पानी की उपलब्धता और पशु स्वास्थ्य सीधे तौर पर बदलते मौसम से प्रभावित होते हैं. उन्होंने बताया कि पीडीएमसी योजना (कृषि क्षेत्र में जोखिम प्रबंधन) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए महाराष्ट्र को अब तक ₹3,000 करोड़ से अधिक की केंद्रीय सहायता दी गई है और 11.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है. इससे लगभग 11 लाख किसानों को सीधा लाभ पहुंचा है.
फसल नुकसान और राहत उपायों पर चौहान ने कहा कि राज्य में बारिश, सूखा, ओलावृष्टि या अन्य प्राकृतिक विचलनों से अगर 33% से अधिक फसल हानि होती है तो SDRF के तहत किसानों को निर्धारित दरों पर राहत दी जाती है. 12-मासी फसलों के लिए यह राशि ₹22,500 प्रति हेक्टेयर तक जाती है.
साथ ही उन्होंने साफ किया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत महाराष्ट्र को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है. अकेले राज्य में अब तक ₹26,342 करोड़ के बीमा दावे किसानों को दिए जा चुके हैं. यदि बीमा कंपनी भुगतान में देरी करेगी, तो उसे 12% ब्याज भी देना होगा.
मंत्री चौहान ने आश्वासन दिया कि वे स्वयं महाराष्ट्र का दौरा कर चुके हैं और जहां भी नुकसान का आकलन पूरा होगा, केंद्र सरकार फसल बीमा और NDRF दोनों माध्यमों से किसानों को राहत राशि उपलब्ध कराएगी.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में किसानों को सहायता देने में सक्रिय है. केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयासों का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि महाराष्ट्र की कृषि जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच भी सुरक्षित और टिकाऊ बनी रहे.
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