किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (KMSC) ने ऐलान किया है कि 7 मई को पंजाब के अमृतसर जिले में देवीदास पुरा रेलवे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन किया जाएगा. यह स्टेशन अमृतसर-दिल्ली रेलवे लाइन पर स्थित है. किसानों के इस आंदोलन से रेल ट्रैफिक पर असर देखा जा सकता है. किसानों का कहना है कि सरकार जबरन खेती की जमीन का अधिग्रहण कर रही है और इसके एवज में किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. किसानों ने यह ऐलान ऐसे समय में किया है जब पंजाब के सीमावर्ती इलाके हाई अलर्ट पर हैं और पाकिस्तान के साथ तनाव की स्थिति है.
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर पर तनाव का माहौल है. अमृतसर जिले में ही वाघा बॉर्डर है जो पाकिस्तान का इलाका है. रेल रोको आंदोलन के बारे में केएमएससी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि आंदोलन एक दिन के लिए बुलाया गया है और आगे इसे जारी रखना है या नहीं, यह प्रशासन के रेस्पॉन्स पर निर्भर करेगा. पंधेर ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते किसानों की मांग को पूरा नहीं किया जाता है तो 8 मई को आंदोलन के और भी कई स्थानों को जोड़ा जाएगा और आंदोलन किया जाएगा.
India Express की रिपोर्ट में कहा गया है, केएमएससी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सभरा, महासचिव राणा रणबीर सिंह और नेता सरवन सिंह पंधेर ने रविवार देर शाम अमृतसर में आयोजित बैठक में यह घोषणा की. नेताओं ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार पर राज्य को “पुलिस राज्य” में बदलने का आरोप लगाया, जहां गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन सहित जिलों में भारतमाला और अन्य केंद्रीय परियोजनाओं के तहत उचित कानूनी और मुआवजा प्रक्रियाओं का पालन किए बिना भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है.
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पंधेर ने कहा, "पिछले तीन सालों से हमने कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए हैं, जहां सैकड़ों किसानों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया गया है. उचित या समय पर मुआवजा दिए बिना जमीनें जब्त कर ली गई हैं." "कई मामलों में, जमीन मालिकों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है, फिर भी अधिकारी जबरन उनकी जमीन पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं."
उन्होंने बताया कि सैदुके (अमृतसर जिला) जैसे गांवों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जहां शनिवार को अधिकारियों ने कृषि भूमि पर कब्जा करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया था. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में किसानों ने फिर से कब्जा कर लिया है. सबरा ने कहा, "विकास के नाम पर यह मनमानी केवल कॉर्पोरेट हितों की मदद कर रही है, जबकि जमीन मालिकों को संकट में डाल रही है." उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो राज्य सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे.
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