एमएसपी की लीगल गारंटी और अन्य 11 मांगों को लेकर पिछले लगभग एक महीने से चल रहे किसान आंदोलन के बीच पहली बार हरियाणा की खाप पंचायतें सामने आई हैं. खापों ने अलग-अलग धड़ों बंटे किसान नेताओं और उनकी बात न मान रही सरकार को एक साथ चेतावनी दे डाली है. जाटलैंड रोहतक के टिटौली गांव में बैठक करके सर्व खाप ने कहा है कि सभी किसान संगठन 15 मार्च तक एक हो जाएं और सरकार उनकी बात मान ले वरना वो खुद अपने हिसाब से आंदोलन चलाएंगे. वो इसी गांव में 13 मार्च से ही आंदोलन के समर्थन में धरना जारी रखे हुए हैं. कहा जा रहा है कि 15 तारीख तक अगर समाधान नहीं होता है तो 2021 की तरह खाप पंचायतें सत्ताोधारी पार्टी बीजेपी और जेजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल सकती हैं.
इन दोनों पार्टियों के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों में गुस्सा इसलिए है क्योंकि यही दोनों हरियाणा की सत्ता में हैं और यही सरकार उन्हें दिल्ली जाने से रोक रही है. आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि 2021 के आंदोलन के दौरान भी जब किसान पंजाब से शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे थे तब भी खट्टर सरकार ने ही सड़कें खुदवाईं. भयंकर ठंड के मौसम में बुजुर्ग किसानों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. रोड ब्लॉक कराए. इस बार भी शुरू से ही हरियाणा सरकार किसानों से पंगा ले रही है. उन्हें न तो ट्रैक्टर से दिल्ली आने दे रही है और न तो पैदल.
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साल 2021 में चले किसान आंदोलन-1 के दौरान खापों ने बीजेपी-जेजेपी नेताओं के गांवों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. यही नहीं उनका सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया था. दोनों पार्टियों के नेता इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने ऐसा करने वालों के खिलाफ हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाया था. दलाल खाप के नेता सुरेंद्र दलाल का कहना है कि खाप पंचायतें किसान आंदोलन के समर्थन में हैं. वो चाहती हैं कि एमएसपी की गारंटी मिले. इसलिए वो हरियाणा में धरने चलाएंगी और बढ़ाएंगी.
रोहतक के टिटौली गांव में धरने पर बैठे कुछ किसानों ने कहा कि जो लोग सत्ता में बैठे हैं वो किसानों को बदनाम कर रहे हैं. अपमान कर रहे हैं. हरियाणा सरकार उनका दमन कर रही है. जब हरियाणा के किसान पंजाब के किसानों का साथ देते हैं तब राज्य सरकार सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे को आगे कर देती है. अगर सरकार हमें दिल्ली नहीं जाने देगी तो हम सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं को अपने गांव में नहीं घुसने देंगे. किसानों में दुष्यंत चौटाला के खिलाफ भी गुस्सा है क्योंकि वो किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी देवीलाल के परिवार से हैं फिर भी मौन हैं.
शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच उनके समर्थन में हरियाणा में कई जगहों पर धरना चल रहा है. जिनमें से रोहतक एक है. जबकि सत्ताधारी लोग ऐसा दावा कर रहे हैं कि यह आंदोलन सिर्फ पंजाब के किसानों का है. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2021 में चले किसान आंदोलन में भी हरियाणा के किसानों ने बढ़-चढ़कर शिरकत की थी. इस बार खापों की ओर से इस तरह की बैठक करना और धरना जारी रखना यह संकेत है कि राज्य के किसान आंदोलन में इस बार भी पीछे नहीं हैं. हालांकि, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अपने एक कार्यक्रम में दावा किया कि हरियाणा सरकार किसान हितैषी है.
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