अभी पाकिस्तान की जनता और सरकार ऑपरेशन सिंदूर के सदमे से उबरी भी नहीं थी कि एक और बुरी खबर उसे मिल गई. जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार भारत ने अचानक चेनाब नदी से मारला बांध की तरफ 20,000 क्यूसेक पानी छोड़ दिया है. बताया जा रहा है कि इससे पाकिस्तान की तरफ जाने वाला बहाव अचानक बढ़ गया है. इस स्थिति के बाद पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया गया है.
भारत ने 24 घंटे तक बांध में पानी रोकने के बाद हेड मारला में चिनाब से 28,000 क्यूसेक पानी छोड़ा है. पाकिस्तान ने इसके बाद सियालकोट, गुजरात और हेड कादिराबाद के लिए बाढ़ की चेतावनी जारी की है. चेनाब नदी, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है. जब भारत ने शनिवार को बगलिहार और सलाल बांधों के सभी गेट बंद कर दिए तो चेनाब नदी के बहाव में असाधारण तौर पर गिरावट देखी गई. इसकी वजह से हेड मारला के पास नदी का बहाव सामान्य 25,000-30,000 क्यूसेक से घटकर 3,100 क्यूसेक रह गया.
नदी के तल करीब-करीब पूरी तरह से सूख गए थे. हालात ऐसे थे कि पाकिस्तान के कुछ इलाकों में तो स्थानीय निवासी नदी वाले इलाकों में पैदल तक चलने लगे थे. लगभग पूरे दिन की नाकाबंदी के बाद भारत ने अचानक 28,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जिससे बहाव तेजी से बढ़ गया. पाकिस्तानी अधिकारियों ने जो अलर्ट जारी किया है, उसमें निवासियों को अचानक बाढ़ के जोखिम के बारे में आगाह किया है. इसमें यह भी कहा गया है कि बाढ़ से घरों, बुनियादी ढांचे और कृषि भूमि को नुकसान हो सकता है.
वहीं पानी के अनियमित बहाव ने पाकिस्तान में खरीफ फसल के शुरुआती मौसम को लेकर भी आशंकाएं बढ़ा दी हैं. माना जा रहा है कि इससे सिंचाई के कार्यक्रम पर असर पड़ सकता है और 21 फीसदी तक पानी की कमी हो सकती है. इससे क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. पाकिस्तान में सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण के प्रवक्ता मुहम्मद खालिद इदरीस राणा ने कहा था कि भारत ने पाकिस्तान को मिलने वाले सामान्य पानी की मात्रा में करीब 90 फीसदी तक की कटौती की है. उन्होंने कहा कि अगर बहाव में कमी जारी रही तो इस्लामाबाद को खेतों में पानी की सप्लाई में पांचवां हिस्सा कम करना पड़ेगा.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को खत्म कर दिया. इस संधि की वजह से ही पाकिस्तान में पानी के बहाव को कंट्रोल किया जाता था. सिंधु नदी सिस्टम में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज शामिल हैं. इनके प्रयोग के अधिकार सन् 1960 में हुई संधि के जरिये ये भारत और पाकिस्तान के बीच बांट दिए गए थे. पाकिस्तान सिंचाई के लिए पूरी तरह से सिंधु नदी पर ही निर्भर है.
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