सात मई को भारत की तरफ से 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया गया था. यह मिशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था. भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद, आजतक और इंडिया टुडे की टीमें जीरो लाइन से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर स्थित सीमावर्ती गांव बमियाल पहुंचीं. यहां पर नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर रहने वाले किसानों से बात करके यहां की स्थिति के बारे में जाना गया.
एक किसान ने कहा, 'हम भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का स्वागत करते हैं. इससे पहले, सीमा पर स्थिति बिगड़ रही थी. ड्रोन के ऊपर उड़ने से डर का माहौल बन रहा था. लेकिन हमें इस बात पर गर्व है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हमले का जवाब कैसे दिया.' बमियाल अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है. जबकि जम्मू और कश्मीर सीमा सिर्फ 10 किमी दूर है.
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, 'जब पठानकोट और जम्मू की ओर ड्रोन दागे गए तो हम दोनों तरफ से धमाके साफ सुन सकते थे.' पिछले संघर्षों से इसकी तुलना करते हुए एक अन्य ग्रामीण ने कहा, '1999 में तनाव कहीं ज्यादा था-गोलाबारी, गोलीबारी और बारूदी सुरंगें रोजाना का खतरा थीं. इस बार, हम थोड़ा ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे थे.' स्थानीय लोगों ने भारत के डिफेंस सिस्टम की भूमिका को स्वीकार किया. एक और व्यक्ति ने बताया, 'हमने देखा है कि हमारी मिसाइल रोधी और ड्रोन डिफेंस सिस्टम पाकिस्तानी ड्रोन को रोकती हैं. इससे हम सुरक्षित महसूस करते हैं.'
हालांकि, उन्होंने अपनी कठिनाइयों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, 'किसानों के तौर पर, सीमावर्ती क्षेत्रों में काम करना मुश्किल है. हमें सिर्फ BSF द्वारा निर्धारित घंटों के दौरान ही अपने खेतों में जाने की अनुमति है. वर्तमान में, हमें कटाई के लिए बाड़ के पार अपने खेतों में जाने की अनुमति नहीं मिली है.' फिर भी, उनका संकल्प दृढ़ है. उनका कहना था कि अगर पाकिस्तान फिर से आतंक फैलाने की कोशिश करता है तो हमारा मानना है कि उन्हें करारा जवाब दिया जाना चाहिए.'
(पठानकोट से अनमोल बाली की रिपोर्ट)
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today