पंजाब-हरियाणा में पराली का निपटान आज भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है. इस साल भी पराली जलाने की कई घटनाएं सामने आईं हैं. एक ओर जहां किसान संगठन किसानों की समस्याएं बताते हुए मशीनों पर सब्सिडी की मांग कर रहे है. वहीं, दूसरी ओर सरकार उचित व्यवस्था की बात कह रही है. अब हरियाणा में विपक्ष ने पराली को लेकर नई मांग सामने रख दी है. राज्य के पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा पराली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने की मांग उठाई है. साथ ही पराली के अन्य संभावित उपयोगों पर भी काम करने की बात कही.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शनिवार को कहा, "पराली के लिए MSP तय किया जाना चाहिए. सवाल यह है कि छोटे किसान पराली का क्या करेंगे? किसानों से फसल न खरीदना गलत है. इसका समाधान निकाला जाना चाहिए. पराली का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है, इससे बिजली भी बनाई जा सकती है. इसका प्रभावी तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए." इससे पहले शनिवार को पर्यावरणविद् विमलेंदु झा ने बताया कि उत्तर भारत में बढ़ते प्रदूषण के प्राथमिक कारणों में पराली जलाना शामिल है.
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इसके अलावा, दिल्ली में अभी पंजाब से आने वाली हवाएं नहीं चल रही हैं. यहां अभी धूल और वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से प्रदूषण बढ़ रहा है. समाधान खोजने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए. विमलेंदु झा ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के प्राथमिक कारण वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन और धूल हैं. यहां की हवा खराब होने के पीछे सड़कों पर होने वाली धूल का 30 प्रतिशत और सार्वजनिक वाहन प्रदूषण का 30 प्रतिशत योगदान है. पराली सिर्फ 25-30 दिनों तक ही जलाई जाती है. बाकी के समय स्थानीय कारक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होते हैं.
इसके पहले 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा है कि उनके राज्यों में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पंजाब और हरियाणा के हालिया आंकड़े को देखें तो ये पिछले साल की तुलना में ज्यादा हैं. इन राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली में सर्दी के आने के साथ ही चिंता का विषय बन गईं हैं. यहां हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है और घना धुआं छा जाता है.
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